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चाची की को दिया चरमशुख | आंटी सेक्स स्टोरी

चाची की को दिया चरमशुख 

 मैं शिवमआप के सामने आज अपनी और चाची के बीच चले दो महीने के रोमांस के बाद की एक ऐसी घटना का वर्णन कर रहा हूँ जो हर किसी इच्छा है। हुआ यों कि मकान के काम चलने के बहाने से मेरी और चाची की ठुकाई की आदत बन गई और हम लोग किसी ना किसी बहाने से ठुकाई करने लगे। लेकिन चाची ने एक दिन मेरे मन की बात कर दी वो थी- सुहागरात! चाची बोली- हम दोनों ने ‘सुहागदिन’ बीसियों बार मनाया है लेकिन कभी एक बार सुहागरात का भी सुख भोग लें! यह सुनते ही मानो मेरी तो लॉटरी ही निकल पड़ी।, और हमारी किस्मत में वो दिन आ ही गया जिसका दो आत्माओं को बड़ी बेसब्री से इंतज़ार था।

 एक दिन मेरे मुँह बोले चाचा की फसल कटाई का काम शुरू हुआ और चाचा और उनकी माँ अपने गाँव गये, चाची से दो दिन बाद आने का बोल कर चले गये। चाचा के पिताजी रेलवे में जॉब करते हैं तो उनका अक्सर आना जाना लगा रहता है लेकिन किस्मत से उनके पिताजी का अगले 20 दिन तक घर आने का कोई प्लान नहीं था इसलिए हम देवर चाची को मौका मिल ही गया ‘सुहागरात’ मनाने का! उसी दिन शाम को हमारा प्लान तैयार हुआ लेकिन रात को मुझे चाची के पास जाने के लिए किसी बहाने की ज़रूरत थी, सेक्स के नाम पर बहुत बहाने याद आते हैं, तो मैंने अपने सबसे पुराने मित्र के यहाँ कुछ पढ़ाई करने जाने का बहाना बनाया और शाम को अपने घर से सीधा अपने दोस्त के घर जा पहुँचा, उसे अपनी कहानी सुनाई। उसने मेरी बात को समझते हुए मेरे घर से फोन आने पर मुझे बचा लेने का वादा किया क्योंकि वो सेक्स की कीमत जानता था क्योंकि उसकी भी एक गर्लफ्रेंड थी। 

 मेरा कम बन गया और मैं अपने मिशन की ओर बड़ी उमंग के साथ भागा और छुपते हुए चाची के दरवाजे जा पहुँचा। दरवाजा खुला होने के कारण तुरंत अंदर दरवाजा बंद करते हुए दाखिल हुआ। लेकिन जैसे मैं चाची के कमरे तक पहुँचा तो चाची की आवाज़ आई- मेरे देवर राजा, तुम जल्दी से बाथरूम में जाकर नहा लो और जो कुर्ता-पजामा वहाँ पर रखे हैं पहन कर आ जाओ! मैं बगैर देर लगाए तुरंत नहा कर, नए कपड़े पहन कर चाची के कमरे की तरफ भागा लेकिन जैसे ही मैंने दरवाजा खोला, मैं उस स्वर्ग को देखकर पागल सा हो गया और उस स्वर्ग की अप्सरा को देखकर तो मेरा पप्पू लट्टू की तरह फूलकर हिचकोले खाने लगा। उस दिन चाची गुलाबी लहंगे में इतनी सुंदर लग रही थी जैसे कोई अप्सरा हो, जो कई धारावाहिकों में दिखाई जाती हैं, चाची की सुंदरता में चार चाँद लगाने वाले उनके सुंदर आभूषण थे, जिसमें गले के दो सोने के हार, एक सोने का मंगलसूत्र, दो बाजूबंद, दो हाथों के फूल, कमर पर सोने का कमरबंद और पैरों की बड़ी-बड़ी पायल जो कई सारे छोटे छोटे घूँगरुओं की संग्रह थी। मुझसे रहा नहीं गया, मैंने चाची को अपनी बाहों में भर लिया लेकिन चाची ने तभी मुझसे कहा- मेरे देवर जी, अब सुहागदिन की तरह जल्दबाजी ना करो, अब तो मैं तुम्हारे साथ पूरी रात रहूंगी, तो तुम जल्दी से ये दूध पी लो! और मैंने एक अबोध बालक की तरह एक साँस में पूरा दूध पी लिया और चाची को पकड़ा। तभी चाची मुझसे बोली- तुम अब ब्रश करके आओ क्योंकि मुझे दूध से बहुत चिढ़ है। मैं तुरंत ब्रश करके आ गया, चाची से लिपट गया। 

 मेरे स्पर्श के लिए तैयार चाची मुझसे लिपट गई, मैं चाची के होठों को अपने दाँतों से काटने लगा और उनकी चुची को बड़ी ज़ोर से मसलने लगा। तभी मैंने चाची के ब्लाउज की डोरी को खोल दिया, पीछे से चाची के ब्रा का हुक खोल दिया, और चाची की गोरी गोल चुची को आज़ाद करके चूसने लगा। चाची उत्तेजना के शिखर की ओर अग्रसर होने लगी। मुझसे अब एक पल रहा ही नहीं जा रहा था, मैंने चाची के लहंगे की गाँठ को बड़े ज़ोर से खींचा, लहंगा तुरंत नीचे जा गिरा लेकिन मदहोश चाची को यह पता भी ना चला। मैंने चाची को बेड पर पटक दिया, अब चाची सिर्फ़ गुलाबी रंग की की पेंटी में मेरे सामने थी और मैं पागलों की तरह चाची के नंगे अंगों की चुसाई करने लगा। मैंने चाची की पेंटी में अपना हाथ डाला तो उनकी योनि पानी छोड़ने में व्यस्त थी, मैंने भी बगैर समय गंवाए उसके रसपान करने का सौभाग्य लिया और उस नमकीन से रस को पूरा चाट लिया, चाची की योनि को चाट चाट कर बिल्कुल लाल कर दिया। पहली रात के इस दृश्य से मेरे लंड ने बहुत सारा वीर्य छोड़ दिया और मैं कुछ समय के लिए अपने सेक्स के नये तरीके के बारे में सोचने लगा। तभी मैंने चाची से कुछ और सोने के आभूषण की माँग की लेकिन चाची समझ नहीं पाई, और मुझे अपनी सासू माँ की अलमारी की चाबी देकर अपनी पसंद के आभूषण लाने को कहा। मैं गया तो अलमारी में एक बड़ा सा टिफिन रखा था जिसमें कई सारे आभूषण थे, मैंने उनमें से कानों के बड़े-बड़े झुमके निकाले और चाची की चूत की बालियों को निकाला और उसमें उन झुमकों को पहना दिया, आज चाची की योनि अपने अलग ही शवाब में थी जिसे देख कर मैं पागल हुआ जा रहा था।

 मैं चाची के कमरबंद से उनके नाभि प्रदेश से होते हुए उनके बड़ी सी नथ पहने मुखारविन्द को चूमने लगा और मेरा लंड फिर से अपने पूर्ण रूप में आ गया। मैंने तभी चाची की चूत से झुमकों को निकाला, अपने लिंग के सुपारे को उनकी चूत पर लगाया और बड़े ज़ोर का एक झटका लगाया तो उस कामरस से सराबोर योनि में मेरा सम्पूर्ण लिंग समाहित हो गया और मेरे तेज़-तेज़ धक्कों की मार से चाची अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँचने की कोशिश में उछल-उछल कर मेरा साथ देने लगी। मैंने चाची की टाँगों को अपने कंधों पर रखा और उनकी योनि में मेरा लिंग उनकी योनि की अंत तक की सीमा तक जा पहुँचा और उन्हें पूर्ण आनन्द की अनुभूति होने लगी। मेरे जोरदार झटकों की वजह से चाची की इन पायलों की झनक सारे कमरे की दीवारों से टकरा कर पूरे कमरे में गुंजायमान होने लगी। 

 पायल की झंकार के साथ चाची की सुंदर आहों का स्वर कमरे के माहौल को और भी अधिक शोभनीय बनाने लगा, चाची के मुख से बरबस स्वर स्फुटित होने लगे- उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाय चोद दो मेरे देवर राजा… मोटे लंड का स्वाद अच्छा लग रहा है हाय रे… आऽऽऽह ओऽऽऽह मेरे राजा… चोद डालो… हाऽऽऽय… जोर से…! मैं उत्तेजना में धक्के लगाये जा रहा था और उनकी चूत का पानी फ़च फ़च की आवाज कर रहा था। चाची मुझे जकड़े जा रही थी… मुझे लगा कि चाची अब झड़ने वाली हैं… मैंने उनकी चुची से हाथ हटा दिया। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप ईडी डॉट इन पर पढ़ रहे हैं! तभी चाची ज़ोर से चिल्लाई- क्या कर रहे हो? मसल डालो ना इन्हें… जल्दी… आऽऽऽह… मैं गई… आह रे… मेरा निकला…! मैं गई… राजा… मुझे कस लो… चाची ने अपनी कमर हिलानी शुरु कर दी, लंड पहले की भान्ति अन्दर बाहर होता रहा और मैं अथाह आनन्द में डूबने लगा। लंड में प्यारी सी सरसराहट, गुलाबी सा मीठा मीठा सा मजा आने लगा, तेज़ धक्कों की रफ़्तार धीरी होने लगी और हल्के से धक्के लगने लगे, पर आह… कुछ ही देर में वो ढीला पड़ने लगा और मेरा वीर्यपात हो गया। 

 चाची ने मुझे कसकर जकड़ लिया और हम दोनों काफ़ी देर उसी अवस्था में लेटे रहे। इस तरह से मैंने रात को चाची को तीन बार जम के चोदा और अपना पूरा वीर्य चाची की योनि में छोड़ दिया और गर्भधारण का सही समय होने के कारण चाची को गर्भ ठहर गया। सुबह चाची के सभी गहनों को सही सलामत तरीके से रखवा कर अपने घर आ गया। चाची ने होने वाली औलाद का नामकरण करने का जिम्मा मुझे सौंप दिया। इस प्रकार मैं अपनी चाची का असली पति बन बैठा। और तब से अभी तक हम दोनों लोगों को दोबारा ऐसी सुहागरात की ठुकाई करने मौका नहीं प्राप्त हुआ।

 हम लोग मकान के चक्कर में जल्दबाजी में सेक्स कर लेते हैं और भगवान से फिर सुहागरात जैसी एक और मदमस्त रात देने की विनती करते हैं। अगर मेरे साथ कोई नई घटना हुई तो मैं अपने दोस्तों को इस बारे में ज़रूर बताऊँगा। आपको मेरी सुहागरात की ठुकाई की कहानी कैसी लगी? मैं अपनी पहली कहानी में आप सभी से अच्छे दो नामों की माँग कर चुका हूँ । आशा करता हूँ कि आप लोग मेरी माँग का जवाब ज़रूर देंगे। 

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