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रीता मौसी को घोड़ीबानकार प्रेगनेंट किया

  रीता मौसी को घोड़ीबानकार प्रेगनेंट किया

कई बार सपने में मैं अपनी रीता मौसी को उनकी तारीफ में कहता था ..” मौसी आप बहुत खूबसूरत हो आपके रसीले होंठों का रस पीने के लिए कोई भी मर्द चाहेगा गोल गोल बड़ी आँखों में अजीब सी उलझन है आपकी पतली कमर देख कर कोई भी छूने को चाहेगा काजोल की जैसे बड़ी बड़ी चुचियां है आपकी दो मोटे कूल्हों को देखकर हर कोई दीवाना हो जाएगा सच कहूं मौसी आप एक हसींन हिरोइन जैसे दिखती हो.” वो मुस्कुरा कर कहती हैं-“बस बस बहुत तारीफ करते हो वो भी झूठी ” ये क्या कहा आपने मैं भी कुर्बान जाऊँ आप पर अगर झूठा निकला तो।

मौसा को अक्सर शहर से बाहर जाना पड़ता है। एक बार मौसी ने काले रंग की साड़ी और ब्लाऊज पहना। मौसी गोरी हैं इसिलिए मैंने उसकी खूब तारीफ की और कहा- मौसी आप तो काले कपड़ो में बहुत ही खूबसूरत दिखाती हो वो मुस्कुरा के बोली झूठे कहीं के।


फिर कई दिनों तक मन में एक सपना सजाता रहा कि कब मौसी को पा लूं और कस के उनकी गरम नरम योनि में अपना मोटा लन्ड डाल के उन्हें चीखने पर मज़बूर कर दूं।


एक दिन मौसा ने सुबह जल्दी बाहर जाना था और मैंने उन्हें स्टेशन तक छोड़ने जाना था। मैं केवल अंडरवीयर पहने कसरत कर रहा था कि अचानक मौसी आ गई। मुझे एक झटका सा लगा और मैंने एकदम अपनी कमर पर एक तौलिया लपेट लिया। मौसी मेरे पास आईं और बोली- देवर जी ! आपकी बोडी तो बहुत जानदार है। मेरी बाजू पकड़ कर कहा- क्या सख्त बाजू है। मेर लन्ड मौसी के नर्म हाथों का स्पर्श पाते ही मचलने लगा। मौसी ने तौलिये में मेरे लन्ड को फ़ूलते हुए देख लिया। फ़िर वो जल्दी से बोली- जल्दी तैयार हो जाओ, चलो तुम्हारे मौसा राह देख रहे हैं, उनकी गाड़ी का वक्त हो रहा है। वो चली गई पर मेरा लन्ड गर्म हो चुका था। मैं मौसा को स्टेशन छोड़ आया और फ़िर कालेज चला गया।


शाम को जब घर आया तो मौसी पड़ोस में गप्पें हान्क रही थी। मुझे देख कर वो अन्दर आ गई। आज उन्होंने गहरे नीले रंग का गाऊन पहन रखा था और अन्दर आ कर दरवाजा बंद करते ही उन्होंने कहा- क्यों देवर जी मैं काले कपडों में सुंदर लगती हूँ ना !


मैंने कहा- हाँ. तो उन्होंने मैं कैसी दिखती हू इन काले कपड़ो में ?


मैंने हँसते हुए कहा- मौसी तुमने तो नीले रंग का गाऊन पहना है.


उन्होंने शरारत से कहा उस दिन तो कहते थे मौसी तुम काली साड़ी और काले ब्लाऊज में अप्सरा लगती हो. आज क्या हुआ ? मैंने कहा- लेकिन मौसी आपने नीला गाऊन पहना हुआ है काला नहीं.


तभी मेरा ध्यान मौसी के कंधे पर दिख रहे ब्रा स्ट्रैप पर गया। मैंने आगे बढ़ कर ब्रा स्ट्रैप के नीचे उंगली डाल कर ऊपर को उठाया और कहा- अच्छा तो ये है काले रंग की ब्रा। लेकिन दिख तो नहीं रही, मौसी जरा दिखाओ ना।


” कुछ नहीं ! कुछ नहीं ! मैं तो मज़ाक कर रही थी “मौसी बोली।


मैंने कहा- मौसी प्लीज! दिखाओ ना ! प्लीज मौसी प्लीज ! बस एक झलक एक बार !


इतना सुनते ही मौसी ने अपना गाऊन निकल दिया मैं उसे देखते ही दंग रह गया सच मौसी काले रंग की चोटी सी ब्रा और काले रंग की बिल्कुल छोटी सी पैन्टी में थी। उसकी दोनों चूचियां आधी से ज्यादा नंगी थी जब पैन्टी उसकी आधी योनि को ही ढक पा रही थी दोनों ओर से योनि नंगी दिखाई दे रही थी ये नजारा देख कर मेरा लंड अंडरवियर में खड़ा होने लगा.


मौसी ने कहा ” उस दिन तो बड़ी तारीफ करते थे आज क्या हो गया ”. मैंने कहा “मौसी तुम्हारी चूचियां और योनि का कोई जवाब मेरे पास नहीं पहली बार किसी औरत का आधा बदन नंगा देखा है सच कह रहा हूँ तुम्हारी कसम मौसी इतनी खूबसूरत गदराई हुई जवानी पहली बार देख कर मैं बाग बाग हो गया हूँ ”


ये कहते हुए मैंने आगे कदम बढाया तो मौसी हिली नहीं अपनी जगह से. मैंने मौसी को कंधो से पकड़ कर अपने से चिपटा लिया।

उन्होंने मुझसे कहा- क्या कर रहे हो, पहले अन्दर चलो !


मैं समझ गया कि आज मौसी दावत दे रही हैं। अन्दर जाते ही मैंने अपनी शर्ट निकल दी ,ऊपर का बदन नंगा हो गया फिर बिना सोचे अपनी पैंट उतार दी सिर्फ़ अंडरवियर में आ गया मेरी नजर मौसी की चुचियों पर गई छोटी सी ब्रा और बड़े कद की चूचियां कब तक छुपाती. मैंने पीछे जा के हूक खोल दी। दो नंगे फल मौसी के बदन पर झूलने लगे .वो कसमसाई मैंने उनकी बिना परवाह किए पैंटी को एक ही झटके में उतार दी और अपना अंडरवियर को निकाल दिया.


उन्होंने नकली गुस्से से कहा- यह क्या कर रहे हो?


मैंने कुछ सुना नहीं मैंने अपनी बाहों में नंगी मौसी के जिस्म को दबोच लिया वो कराहने लगी की मैंने दोनों होंठों को उसके रसीले होंठों पर रख दिए और जी भर के उसका रस पान करने लगा एक हाथ से चुचियों को दबाता मसलता रहा दूसरे हाथ से उसका जिस्म पूरा कस के मेरे जिस्म से चिपकाया ये सब अचानक हो जाने से वो हाथ पाँव मारने लगी लेकिन उसका कुछ न चला ओर मैं मौसी के जिस्म को बुरी तरह रौंदने लगा होंठों के बीच जीभ डाल के मैंने उसे बुरी तरह चूमा उसके मुह में .. आह्ह्ह उफ़. .मोनू .. मैं तुम्हारी मौसी हूँ .. ये ग़लत है .. छोड़ दो मुझे ..जग गगग ..की आवाज निकलने लगी पर मैं पूरी तरह से उनकी भरी भरी चूचियों को दबाता रहा उसकी कड़ी निप्पल को दो उंगली के बीच ले के मसलने लगा मौसी अब सिस्कारियां भरने लगी ..नही .. प्लिज्ज़ ..उईई ईई… धीरे ..मोनू ऊउऊ ..लेकिन अब उसका विरोध ख़तम हो गया था.


हम दोनों की सांसे तेज होने लगी मैंने जम कर मौसी के पूरे बदन को बेतहाशा चूमा .. .. मेरे होंठ उसके बदन पर फिसलने लगे .. एकदम गोरा और चिकना बदन था .अभी तक मैंने उसकी योनि पर हाथ नहीं लगाया था .. वो दोनों जांघो को सिकोड़े हुए थी .. मेरे हाथ और होंठो के स्पर्श से वो… ऐसी आवाजे निकलने लगी थी. रीता मौसी अब मीठी मीठी आहें भरने लगी मेरी ध्यान अब उसके पेट से होते हुए गहरी नाभि पर गया मैंने वहाँ सहलाया तो उन्होंने सिहर कर अपनी जांघे खोल दी और अब मेरी नजर उन की योनि पर पड़ी मैं झूम उठा एक भी बाल नहीं था गुलाबी रंग की योनि के बीच में एक लाल रंग का होल दिखाई दिया ये देख कर मुह में पानी आ गया.


मौसी के जिस्म को चारो ओर से चूमने सहलाने और दबाने के बाद चूचियों को प्यार से मुंह में लेकर कई बार चूसा मौसी का अंग अंग महक ने लगा उसकी दोनों चूचियां कड़ी ओर बड़ी हो गई उसके लाल लाल निप्प्ल उठ कर खड़े हो गए तीर की तरह नुकीले लग रहे थे. तब मेरी मौसी मुझसे जोर से लिपट गई। दो बदन एक दूसरे से रगड़ने लगे मेरी सांसे फूलने लगी हम दोनों तेजी से अपने मकसद की ओर आगे बढ़ने लग॥ 10 मिनट तक हम दोनों ने एक दूसरे को पूरा चूमा सहलाया। मौसी ने पहली बार शरमाते शरमाते लंड को पकड़ा तो बदन में बिजली सी दौड़ गई पहली बार मैंने कहा “मेरी जान उसके साथ खेलो शरमाओ मत अब हम दोनों में शर्म कैसी .”


मेरा बदन बहुत ही गरमा चुका था तब मैंने मौसी को फर्श पर लिटा दिया ओर उसके ऊपर आके जोर से चुचियों को फिर से दबाया पर बाद में मैंने योनि की तरफ़ देखा. योनि तो पूरी गीली थी. उसमे से जूस ऐसे निकल रहा था जैसे नल से पानी बह रहा हो. अब मैंने मौसी के पावों को चौडा किया तो उनकी फूली हुयी गुलाबी योनि पूरी तरह दिखने लगी .मौसी की गुलाबी योनि को देख कर मैंने कहा “मौसी सच बहुत ही चिकनी है तेरी ये योनि बिना बाल की गोरी उभरी हुई। दिल कर रहा है इसे खा जाऊँ ” इतना कह कर मैं उसकी योनि पर झुका और योनि के होठों को अपने होठों से चूमने लगा।


मौसी तो जैसे उछल पड़ी। ओह आ मोनू…॥अऽऽऽ ये क्या कर रहे हो…ऐसा तो तुम्हारे मौसा भी नहीं करते कभी.. ओह मुझे अजीब सा लग रहा है। मौसी की सिस्कारियों से पूरा कमरा गूंजने लगा। मैं बड़े प्यार से मौसी की योनि को चूसता, चूमता चाटता रहा। वो अपने होठों पर जीभ फ़ेर रही थी और मचल रही थी कि अचानक चिल्लाई- मोनू छोड़ मुझे… आहऽऽमेरा हो रहा है…जोर से…कहते हुए मेरा सिर अपनी जान्घों में दबा लिया और मेरे बाल खींचने लगी।…मौसी ने आह ऽऽ भरते हुए जल्दी जल्दी तीन चार झटके पूरे जोरों से अपने योनिड़ उठा कर मारे। मैंने फ़िर भी उनको नहीं छोड़ा और अपनी जीभ से उनकी योनि से बहने वाले रस को चाट गया।


वो कह रही थी- अब हट जाओ मोनू, अब सहन नहीं हो रहा। अब अपनी प्यारी मौसी को चोदो। फ़ाड़ दो मेरी योनि को अपनी मौसी की योनि में घुस जाओ। मैं पहले से जानती थी कि तुम मुझे चोदना चाह्ते हो, मैं भी तुम से चुदना चाहती थीअब मैं भी मौसी की योनि का स्वाद अपने लौड़े को चखाना चाहता था। मैं मौसी के ऊपर आया तो मौसी ने सिर उठा कर मेरे लौड़े कि तरफ़ देखा। उन्होने कहा- देवरजी ! मैं तो मर जाऊँगी इतने मोटे और लम्बे से।


मैंने पूछा किस मोटे और लम्बे से?


वो शरमाते हुए बोली तुम्हारे लो ऽऽऽ लौड़े से !


मैंने कहा-कुछ नहीं होगा… और मौसी की टांगें चौड़ी की तो उनकी योनि के होंट ऐसे खुल गये जैसे किसी फ़ाइव स्टार होटल के दरवाजे अपने आप खुल जाते हैं किसी के आने पर। मैंने अपनी दो अंगुलियों से योनि को थोड़ा और खोला और अपना लन्ड का सिर उस पूरे खिले गुलाब के फ़ूल में रख दिया। मौसी ने कहा- थोड़ा अन्दर तो करो !


मैंने कहा- अभी करता हूं। यह कह कर मैं अपना लौड़ा धीरे धीरे बाहर ही रगड़ने लगा। मौसी बेचैन हो उठी। वो अपने योनिड़ ऊपर को उठा उठा कर लौड़े को अपनी योनि में डलवाने की कोशिश कर रही थी। मैं उनको तड़फ़ाते हुए उनकी सारी कोशिशें नाकाम कर दिए जा रहा था।


“अब डालो ना !” मौसी बोली।


“क्या डालूं… और कहाँ…” मैंने मौसी से पूछा।


“अच्छा बताऊँ तुझे? बहनचोद ! अपनी मौसी की योनि में अपना लौड़ा डाल और चोद साले ! मौसी तड़फ़ते हुए बोली।


मौसी के मुंह से ऐसी गालियां सुन कर मैं हैरान रह गया।


तभी मौसी ने एक ऐसा झटका दिया ऊपर की तरफ़ अपने योनिड़ों को कि एक बार में ही मेरा पूरा का पूरा लौड़ा मौसी की योनि की गहराई में उतर गया। मौसी के मुख से निकला- आह हय-मार दिया ! एक दर्द मिश्रित आनन्द भरी चीख !

मौसी के मुंह से ऐसी गालियां सुन कर मैं हैरान रह गया।


तभी मौसी ने एक ऐसा झटका दिया ऊपर की तरफ़ अपने योनिड़ों को कि एक बार में ही मेरा पूरा का पूरा लौड़ा मौसी की योनि की गहराई में उतर गया। मौसी के मुख से निकला- आह हय-मार दिया ! एक दर्द मिश्रित आनन्द भरी चीख !


अब मैं मौसी के ऊपर गिर सा गया और उनको हिलने का मौका ना देकर उनके होंट अपने होंटों से बंद कर दिये और अपने योनिड़ ऊपर उठा कर एक जोर का धक्का मारा तो मौसी फ़िर तड़प गई।


इसके बाद तो बस आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्… आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…धीरे…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्… आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…रुक जरा… हाँ… आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…जोर से… आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…हाँऽऽअः…हाँऽऽअः…हाँऽऽअः…ह्म्म… हाँऽऽअः


हम दोनों की एक जैसी आवाजें निकल रही थी। काफ़ी देर ऐसे ही चलता रहा। बीच बीच में मौसी बड़बड़ाती रही- मज़ा आ रहा है ! करते रहो ! चूसो !


मौसी की योनि लगातार पानी छोड़ रही थी और मेरा लौड़ा बड़े आराम से अन्दर बाहर आ जा रहा था। मौसी भी अपने योनिड़ उठा उठा कर सहयोग कर रही थी। वो मदहोश हुई जा रही थी। उनके आनन्द का कोई पारावार ना था। ऐसा मज़ा शायद उन्हें पहले नहीं मिला था।


अब मैं चरमोत्कर्ष तक पहुंचने वाला था। मैंने मौसी को कहा- ले रीता ! ले ले मेरा सारा रस ! पिला दे अपनी योनि को !


“हाँ ! भर दे मेरी योनि अपने रस से मेरे मोनू मौसा ! ” मौसी बोली।


और मैंने पूरे जोर से आखिरी धक्का दिया तो मेर लन्ड मौसी के गर्भाशय तक पहुंच गया शायद और वो चीख पड़ी- मार डालेगा क्या?


मेरे मुंह से निकला- बस हो गया ! मेरा लन्ड मौसी की योनि में पिचकारियां मार रहा था। मौसी भी चरम सीमा प्राप्त कर चुकी थी। फ़िर कुछ रुक रुक कर हल्के हल्के झटके मार कर मैं मौसी के ऊपर ही लेटा रहा। हम दोनों अर्धमूर्छित से पड़े रहे काफ़ी देर। पता नहीं कब नींद भी आ गई।


जब मेरी नींद खुली तो देखा कि मौसी उसी तरह नंगी मेरी बगल में बेसुध हो कर सो रही थी। उनके मुख पर असीम तृप्ति का आभास हो रहा था। उनके लबों पर बहुत हल्की सी मुस्कान भी दिख रही थी। मैं धीरे से उठा और रसोई में जाकर दो कप चाय बना कर लाया तो देखा मौसी वैसे ही सो रही थी। मैं उनके पास गया और उनके लबों को हल्के से चूम लिया। जैसे ही मेरे होंठ ने उनके होंठों को स्पर्श किया, मौसी ने आंखें खोल दी और मुस्कुरा कर मेरी आंखों में झांकने लगी।


मैंने मौसी से कहा- “तो सोने का बहाना कर रही थी आप?”


मौसी बोली- मैं तो तभी जाग गई थी जब तुम यहाँ से उठ कर गए थे, लाओ अब चाय तो पिला दो जो प्यार से बना के लाए हो।


हमने चाय पी। तब तक रात के आठ बज चुके थे। मैंने मौसी से पूछा- कैसा लगा?


मौसी ने शरमा कर नज़रें झुका ली, कुछ बोली नहीं।


मैंने उनकी ठोडी पकड़ कर उनका चेहरा ऊपर को उठाया और फ़िर पूछा कि कैसा लगा आज मेरे साथ।


मौसी शर्मिली मुस्कान के साथ बोली- बहुत मज़ा आया, मज़ा तो तुम्हारे मौसा के साथ भी बहुत आता है, पर तुम्हारे अन्दर नया जोश है


“पहले ऐसा ही मज़ा आता था मौसा के साथ?” मैंने पूछा।


” सच कहूं तो ऐसा मज़ा मुझे कभी नहीं आया, मुझे तो पता भी नहीं था कि इतना मज़ा भी आता होगा ठुकाई में” मौसी ने कहा।

मौसी के मुंह से ठुकाई शब्द सुन कर मैं अवाक रह गया। फ़िर मैंने मौसी से कहा- मौसी ! मैंने आपको इतना आनन्द दिया है, मुझे ईनाम मिलना चाहिए


” हाँ ! ईनाम के हकदार तो तुम हो। बोलो क्या चाहिए तुम्हें ईनाम में?” मौसी ने पूछा।


“मैं तो ऐसे ही कह रहा हूं, आप मिल गई, मुझे तो मेरा ईनाम मिल गया” मैंने कहा।


” नहीं, फ़िर भी मैं तुम्हें कुछ ना कुछ ईनाम जरूर दूंगी” मौसी ने कहा।


” जैसी आपकी मरजी ! अगर मैंने अपनी तरफ़ से कुछ मांग लिया तो देना पड़ेगा मौसी ! ” मैंने कहा।


” हाँ हाँ जरूर ! मेरे बस में हुआ तो जरूर दूंगी” मौसी ने आश्वासन दिया।


” अच्छा अब बताओ रात के खाने में क्या बनाऊँ? ” रीता मौसी ने पूछा।


“अब क्या बनाओगी, मैं बाज़ार से ले आता हूं कुछ, वैसे भी मैं अभी सारी रात बाकी है। आप मुझे खाना, मैं आपको खाऊँगा” मैंने मौसी को छेड़ा।


मैंने बाज़ार जाने के लिए उठते हुए कहा- मौसी ! मैं बाज़ार से खाना ले कर आता हूं। आप बस ऐसे ही नंगी रहना, कपड़े नहीं पहनना।

मौसी भी मेरे साथ खड़ी हो गई यह कहते हुए कि दरवाजा भी तो बंद करना होगा। मौसी मेरे पीछे पीछे आईं और मुझे कहा देखो बाहर कोई है तो नहीं, मैं दरवाजा बंद कर लूं



जब मैंने बाज़ार से आकर दरवाजे की घण्टी बजाई और मौसी ने दरवाजा खोला तो वो वही नीला गाऊन पहने थी।


अन्दर आते आते मैंने पूछा कि गाऊन क्यों पहना?


तो कमरे में पहुंच कर मौसी बोली- आज तो बस बच गई। अभी अभी थोड़ी देर पहले दरवाजे की घण्टी बजी थी और मैंने समझा तुम ही होगे और मैं बिना गाऊन पहने दरवाजा खोलने ही वाली थी कि मुझे पड़ोस वाली रितु की आवाज सुनाई दी। वो मुझे ही पुकार रही थी। मैंने दौड़ कर गाऊन पहना और फ़िर दरवाजा खोला।


क्या करने आई थी रितु? रितु वही जो चार पांच घर छोड़ कर रहती है, नमिता आन्टी की बेटी?


हाँ वही, तू तो सबको जानता है?


बड़ी मस्त चीज है वो, एक बार मिल जाए तो साली को चोद चोद कर चार छः बच्चों की माँ बना दूं।


“तेरा बस चले तो तू सारी दुनिया की लड़कियों को चोद चोद कर माँ बना दे” मौसी बोली।


“सारी दुनिया को नहीं तो मौसी आपको तो अब जरूर माँ बना दूंगा” मैंने कहा।


यह सुन कर मौसी भावुक हो उठी, उनकी आंखें गीली हो गई, वो बोली- तीन साल हो गए शादी को ! अब तक तो कोई आस बंधी नहीं, पता नहीं कब मैं माँ का शब्द सुनूंगी अपने लिए। और तुम क्या सोचते हो कि मैंने ये सारी रासलीला तुम्हारे साथ शारीरिक आनन्द के लिए रचाई है? यह सब मैंने औलाद का सुख पाने के लिए किया है। मौसी रोती जा रही थी और बोलती जा रही थी-” वैसे तो तुम्हारे मौसा में कोई कमी नहीं है, वो मुझे सहवास का पूरा पूरा मज़ा देते हैं, पर पता नहीं क्यों मैं गर्भवती क्यों नहीं हो रही। अब देखो तुम क्या गुल खिलाते हो? इतना कह कर मौसी के चेहरे पर कुछ मुस्कुराहट आई।


मैंने आगे बढ़ कर मौसी को अपनी बाहों में भर लिया और कहा- भगवान ने चाहा तो अगले साल तक मैं चाचाऽऽ… नहीं आपके बच्चे का पापाऽऽ… नहीं बस चाचा… हाँ… चाचा ही ठीक है, बन जाऊँगा।


अगर ऐसा हो गया तो मैं तुम्हें मुंह मांगा ईनाम दूंगी- मौसी ने भरे गले से कहा।


तो अब दो ईनाम हो गये- एक तो आपने चाय पीते हुए वायदा किया था आज ही और दूसरा अब जो अगले साल या उससे भी पहले मिल सकता है।


दीदी की ननद की कुंवारी चुत

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