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मोना आंटी को अंधेरे में चुदाई

मोना आंटी को अंधेरे में चोदा

 सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार! मैं रितेश्वर, इंदौर मध्यप्रदेश में रहता हूँ। सेक्स कहानी पर ये मेरी पहली कहानी है, होने वाली गलतियों के लिए माफ़ करें। सभी भाभियों और कुंवारी लड़कियों को मेरा खड़े लंड से नमस्कार। मेरी 29 साल का हूँ और मेरी बीवी की उम्र 28 साल है। मेरा लंड साढ़े छह इंच लम्बा है। मैं जबरदस्त ठुकाई करता हूँ। इस कहानी में आपको मेरे पहले सेक्स कहानी बड़ी मोना आंटी के साथ ठुकाई की पढ़ने को मिलेगी, इसलिए आप अपने लंड को थाम कर तैयार रहिए। लड़कियां भी अपनी चूत में उंगली या खीरा वगैरह डाल कर मजा ले सकती हैं। मैंने अपनी बड़ी मोना आंटी को अठारह साल की उम्र में चोदा था, तब से अभी तक बहुत औरतों को चोद चुका हूँ। 

उन सभी चुदाइयों की कहानी मैं बाद में लिखूंगा। मैंने बारहवीं तक की पढ़ाई गांव में रहकर की है। वहां पर मेरे ताऊ के चार लड़के और उनकी दो बहुएं रहती हैं। ये कहानी उनकी बड़ी बहू की है, जिनको मैंने चोदा था। हम सब जॉइंट फैमिली में रहते हैं। यह बात तब की है, जब मैं पूरा जवान हो गया था और स्कूल में पढ़ता था। मेरी बड़ी मोना आंटी थोड़ी सांवली हैं, लेकिन छोटी मोना आंटी बहुत गोरी हैं। बड़ी मोना आंटी भले ही सांवली हैं, लेकिन वो बहुत सेक्सी हैं। उनका फिगर 34-28-36 का रहा होगा। वो इतनी अधिक चुदक्कड़ हैं कि अगर किसी दिन वो ना चुदें, तो उनको चैन नहीं आता था। मैं अक्सर उनकी ठुकाई की सिसकारियां उनके रूम से सुनता था। तब मेरा मन उनकी ठुकाई देखने का बहुत करता था। आख़िर भगवान ने एक दिन मेरी सुन ली और मुझे उनकी ठुकाई देखने का मौका मिल गया। उस दिन इंडिया का मैच आ रहा था। मैं उनके रूम में टीवी देख रहा था। लेकिन मोना आंटी को चुदास लगी थी। वो मुझसे बार बार पूछ रही थीं- कब तक देखोगे, टीवी बंद कर दो। कुछ देर बाद जब मैच ख़त्म हो गया, तो मैं वहां से आ गया। उनके रूम के बाहर ही आंगन में मेरा बिस्तर लगा था, तो मैं वहीं लेट गया। मेरे लेटते ही मोना आंटी ने चाचा को अन्दर ले लिया और गेट लगा लिया। 


थोड़ी देर बाद उनकी चूड़ियों और पायलों की झनकार मुझे सुनाई देने लगी। मैं समझ गया ज़रूर मोना आंटी अन्दर चुद रही होंगी। मेरी नींद उड़ गई और मेरा लंड खड़ा हो गया। मैं उनकी ठुकाई देखने के लिए उनके गेट पर खड़ा हो गया। chachi sex stories hindi मैं गेट की झिरी में से झाँक कर देखा, तो आआआअ हह ओह हाय क्या नज़ारा था अन्दर का … मोना आंटी ज़मीन पर दोनों पैर हवा में उठाए हुए खोल कर चित लेटी थीं और चाचा उनके ऊपर चढ़े थे। चाचा का लंड मोना आंटी की चूत में था। मोना आंटी की दोनों टांगें हवा में लहरा रहीं थीं। मोना आंटी के दोनों पैर ठीक दरवाजे के सामने थे, जिससे उनकी चूत में लंड साफ़ साफ आता जाता हुआ दिख रहा था। जिंदगी में पहली बार किसी को ऐसे चुदते हुए देखा था, तो दिल जोर जोर से धड़क रहा था। लंड में जोश ही जोश भरा हुआ था। ऊओह क्या बताऊं दोस्तो … क्या रंगीन नज़ारा था। उस अनुभव को शब्दों में कह पाना मुश्किल था। जैसे ही चाचा जोर से कमर से शॉट मारते, लंड घप से मोना आंटी की चूत में घुस जाता और चाची के मुँह से जोरदार आह निकलती और पायल की आवाज़ आती। उस समय मोना आंटी के चेहरे पर दर्द और मज़े की अलग ही झलक दिखती। 

हर झटके पर उनका मुँह खुला का खुला रह जाता। मोना आंटी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ ऐसे चीख रही थीं। उधर मोना आंटी चुद रही थीं, इधर मेरी हालत खराब हो रही थी। जब तक मोना आंटी की ठुकाई चली, तब तक मेरा दो बार पानी निकल चुका था। जब चाचा का पानी मोना आंटी की चूत में निकल गया, तो मोना आंटी शांत पड़ी रह गईं और चाचा उनके ऊपर से हट गए। मोना आंटी ऐसे ही टांगें फैलाए लेटी थीं। मुझे उनकी चूत साफ़ साफ दिख रही थी। उनकी चूत से चाचा का पानी बह रहा था और मोना आंटी की सांसें फूल रही थीं। दिल कर रहा था कि मैं उनके ऊपर चढ़ जाऊं। लेकिन फिर मैंने देखा मोना आंटी उठी ही नहीं, यूं ही चूत पसारे लेटी ही रहीं। फिर कुछ देर बाद चाचा ने उनको हाथ पकड़ कर उठाया, तो मैं समझ गया कि मोना आंटी की चूत कुछ ज्यादा ही चुद गई थी, जिससे मोना आंटी चल नहीं पा रही थीं। फिर दोनों बाहर आने के लिए कपड़े पहन कर खड़े हो गए। मैं जल्दी से अपने बिस्तर पर आकर लेट गया और आंखें बंद कर लीं, जिससे उनको लगे मैं सो रहा हूँ। ये गर्मी का समय था, इसलिए सब लोग बाहर ही सोते थे। मोना आंटी की चारपाई मेरे बगल में ही बिछी थी। उसके बाद चाचा नीचे ज़मीन पर सो गए। हम सब आंगन में ही सोते थे। चुदी हुई मोना आंटी मेरे बगल में आकर सो गईं, लेकिन मेरी आंखों से नींद कोसों दूर थी। जब रात के डेढ़ बजे, तो सब लोग गहरी नींद में थे। मोना आंटी भी सो रही थीं। मैंने सोचा मोना आंटी तो चुद कर थक गई हैं, इसलिए मैंने धीरे से मोना आंटी के ऊपर हाथ फेरना चालू किया। जब कुछ हरकत नहीं हुई … तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई। मैंने धीरे धीरे मोना आंटी की साड़ी उनके पैरों से ऊपर खिसकाना चालू की। जब पूरी टांगें नंगी हो गईं, तो मेरे हाथ कांप रहे थे। ये सब मेरी लाइफ में पहली बार हो रहा था। जब उनकी चूत मेरे सामने आई। ओह हाय क्या बताऊं … क्या नज़ारा था कितनी मुलायम रबड़ी सी चूत मोना आंटी बिल्कुल खुली पड़ी थी। उनकी चूत पर हल्के बाल भी थे। मैंने मोना आंटी की चूत पर हाथ फेरना चालू किया और फिर धीरे से एक उंगली उनकी चूत में सरका दी। बड़ी ही रसीली और चिकनी चूत थी। बड़े आराम से सुप्प से मेरी उंगली उनकी चूत में चली गई। फिर जब मेरी हिम्मत और बढ़ी, तो मैंने मोना आंटी की चुत में अपनी दो उंगलियां अन्दर कर दीं और उनको अन्दर बाहर करने लगा। मैं बहुत देर तक बड़ी मोना आंटी की चूत में दोनों उंगलियां चलाता रहा और अपना लंड हिलाता रहा। 

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मोना आंटी के पैर धीरे धीरे खुलते जा रहे थे, उनकी चूत रस से भीग चुकी थी। मेरी दोनों उंगलियां सटासट अन्दर बाहर हो रही थीं। लेकिन तभी अचानक से मोना आंटी उठ कर बैठ गईं। मेरी तो हालत खराब हो गयी और मैं जल्दी से अपने बिस्तर में लेट गया। मैं धड़कते दिल से चुपचाप सो गया। सुबह मोना आंटी बहुत गुस्से में थीं। मैं उठ कर सीधा घर से बाहर निकल गया और अपने चाचा के घर चला गया। मैंने खाना भी वहीं खाया, वहीं बना रहा। मैं चार दिन तक घर ही नहीं आया। मेरी डर के मारे मोना आंटी के सामने आने की हिम्मत नहीं हो रही थी। जब कुछ समय बीता, तो कुछ सामान्य हुआ। उस दिन मैं जब चाची के यहां नहा रहा था, तो मोना आंटी छत पर आईं। मोना आंटी मुझसे बोलीं- क्यों … घर क्यों नहीं आ रहे हो? तो मैंने कुछ नहीं कहा। मोना आंटी फिर से बोलीं- घर आओ तुमसे बात करनी है।


मैं डरते हुए घर गया। जब मोना आंटी के पास गया तो मोना आंटी बोलीं- इतना क्यों डर रहे हो, मैंने तुमसे कुछ कहा क्या? तो मुझे थोड़ी राहत की सांस मिली। फिर मैं घर रहने लगा। लेकिन मोना आंटी को चोदने की तड़प अब और बढ़ गई थी। आख़िर वो दिन भी आ गया, जब मोना आंटी की चूत से मेरे लंड का मिलन हुआ। sagi chachi sex stories वो एक तूफ़ानी रात थी। मैं उस दिन मोना आंटी के रूम में उनके बेड पे लेटा हुआ टीवी देख रहा था। फिर अचानक मेरी आंख लग गई और टीवी देखते हुए मुझे नींद आ गई। सच में दोस्तो, ये कोई बहाना नहीं था, आज मुझे हक़ीकत में नींद आ गई थी। मेरी किस्मत थी कि मैं चाचा के बेड पर ही सो गया। मोना आंटी बगल में चारपाई पर लेट गईं, जिससे चाचा बाहर जाकर और लोगों के साथ सो गए। मेरी किस्मत देखो उस दिन मोना आंटी के साथ में उनके ही रूम में सो रहा था। रात को जब बादल गरजे और आंधी सी आई, तो मेरी आंख खुल गई। 

 मैंने देखा, तो आंधी की वजह से लाइट चली गई थी। रूम में अंधेरा हो गया था। बस बिज़ली की चमक ही अन्दर आ रही थी, जिससे कभी कभी थोड़ी रोशनी हो जाती थी। मैंने देखा मोना आंटी और मैं एक ही रूम में और अंधेरा भी था। मेरा मन डोल गया। मैंने सोचा आज तो मोना आंटी को चोद ही दूँगा। अगर आज नहीं चोद पाया, तो कभी नहीं चोद सकूंगा। मैंने धीरे से मोना आंटी के ऊपर हाथ रखा पहले उनके होंठों पर, फिर मम्मों पर हाथ फेरा। फिर मम्मों को खूब मसला। जब मोना आंटी कुछ नहीं बोलीं, तो मैं उनकी चूत को सहलाने लगा। जब वो चूत सहलाने पर भी शांत रहीं, तो मैंने उनकी साड़ी ऊपर कर दी और उनकी चूत को नंगा करके उसमें एक उंगली डाल दी। उनकी चूत भट्टी सी गर्म थी। मैंने दो उंगलियां डाल दीं। अब मोना आंटी ने भी अपने दोनों पैर खोल दिए और उनकी चूत रस से सराबोर हो गयी। मैं बहुत देर उनको रगड़ता रहा, कभी चुची … तो कभी चूत। आख़िर मोना आंटी को बोलना ही पड़ा और वो बोल उठीं- तुम शांत नहीं लेट सकते, रात भर से परेशान कर दिया, ना सो रहे हो ना सोने दे रहे हो। आज तेरे कारण न तेरे चाचा ने कुछ किया … और न तू कुछ करता है। बस मोना आंटी ने इतना ही बोला था कि मैं उठ कर उनकी चारपाई पर पहुँच गया और उनके ऊपर चढ़ गया। मैं बोला- अब बर्दाश्त नहीं हो रहा, एक बार चुदवा ही लो। तो मोना आंटी हँस कर बोलीं- हट पागल … उनके ये शब्द मुझको और तड़पा गए। मैंने उनको जोर से दबोच लिया और उनके होंठ अपने होंठों में लेकर कसके चूसने लगा। फिर मोना आंटी ने मुझे धक्का दिया और बोलीं- छोड़ो मुझे कोई आ जाएगा, तुम्हारे चाचा आ जाएंगे। मैंने कहा- कोई नहीं आएगा मोना आंटी … बस एक बार जल्दी से चुदवा लो। मोना आंटी मान गईं और बोलीं- ठीक है, चलो पलंग पर चलो।

 मैं खुशी खुशी पलंग पर पहुँच गया और मोना आंटी अपनी चारपाई पर उठ कर बैठ गईं। उन्होंने एक बार बाहर देखा कोई है तो नहीं, फिर मेरे पास पलंग पर आ गईं। जैसे ही वो मेरे बगल में लेटीं, मैं उन पर भूखे भेड़िए की तरह टूट पड़ा। वो बोलीं- करना ही है, तो आराम से करो। मैंने कहा- ठीक है। फिर मैं उनको चूमने लगा, मोना आंटी के दूध मसलने लगा और उनकी साड़ी ऊपर उठा के उनके दोनों पैर खोल दिए। मैं उनकी चूत में लंड डालने लगा। उनकी चूत इतनी गीली थी कि लंड फिसल रहा था। मैं तो पहली बार कर रहा था। इसलिए अपना लंड मोना आंटी की चूत में डाल ही नहीं पा रहा था। तभी मोना आंटी हँसते हुए बोलीं- रूको मेरे अनाड़ी देवर … मैं डालती हूँ। उन्होंने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रख दिया। जैसे ही मैंने धक्का दिया तो मेरा लंड सट से चूत के अन्दर सरक गया और चूत से फ़च की आवाज़ आई। मोना आंटी का पूरा शरीर कांप गया और मेरा भी। लंड अन्दर जाते ही मोना आंटी के मुँह से एक जोरदार सिसकारी निकली- हायए ओह मर गई … बहुत कड़क लंड है तुम्हारा देवर जी … उम्म्ह… अहह… हय… याह… क्या बताऊं दोस्तो, मोना आंटी की चूत अन्दर से इतनी गर्म थी कि मुझे लगा जैसे मेरा लंड जल जाएगा। मुझे बहुत मस्त लग रहा था। ऐसा लग रहा था, जैसे कोई मेरे लंड की सिकाई कर रहा है। मोना आंटी की चूत भी अन्दर से बहुत फुदक रही थी। उनकी चूत का छेद बार बार खुल और बंद हो रहा था। उनकी चूत बार बार मेरे लंड पर कस जाती थी, जैसे चूत लंड को निचोड़ रही हो। मोना आंटी के मुँह से जोरदार सिसकारी निकल रही थी- सी सी आहह आहह हाय ओह। फिर मोना आंटी ने अपने दोनों पैर फैला कर अपने पैर मेरे पैरों में फंसा लिए, कैंची सी डाल दी, जिससे मेरा लंड मोना आंटी की चूत की गहराइयों में फंस सा गया।

 मोना आंटी ने टाईट होकर अपनी चुचियां मेरे सीने में गड़ा दीं और मुझे कसके जकड़ लिया। मेरी पीठ पर नाख़ून गड़ा दिए। उनके कुछ नाख़ून मेरी पीठ में गड़ गए। लेकिन इतने जोश के मारे मुझे भी कुछ नहीं दिख रहा था। मैंने मोना आंटी को हाहाकारी धक्के लगाते हुए चोदना चालू किया। मैं शॉट पर शॉट मारे जा रहा था। मेरे हर झटके से पलंग हिलता और मोना आंटी की चीख निकल जाती। मैं बस मोना आंटी को चोदने में मस्त था। इधर मैं मोना आंटी की चूत चोद रहा था, उधर जोर जोर से बिजली चमक रही थी और बादल गरज रहे थे। बिल्कुल फिल्म जैसा सीन हो रहा था। उधर आसमान से बिजली चमकती और इधर मोना आंटी की चूत से झटका लगता। उनके मुँह से मस्त आह निकलती। क्या यादगार ठुकाई थी … आज मुझे असली स्वर्ग का मज़ा मिल गया था। 

 मोना आंटी नीचे से अपनी गांड को हिचकोले ले ले कर मुझसे चुदवा रही थीं और मैं जोर जोर से उनकी गर्म चूत को चोद रहा था। मैंने लगभग आधे घंटे तक मोना आंटी को चोदा। मेरा उनके ऊपर से हटने का मन नहीं हो रहा था। फिर मैंने मोना आंटी की चूत में ही अपना पानी निकाल दिया और कस के मोना आंटी से चिपक गया। अभी मेरा पानी निकल ही पाया था कि मुझे एक झटका सा लगा। कमरे का दरवाजा खुला और अचानक से चाचा रूम में आ गए … शायद बाहर पानी बरसने लगा था और इधर मोना आंटी की चूत में भी बरसात हो चुकी थी। मोना आंटी एकदम से उठ कर अपनी चारपाई पर पहुँच गईं। अंधेरे की वजह से चाचा हम दोनों को नहीं देख पाए। 

लेकिन हम दोनों जवानी के मज़े लूट चुके थे। उस दिन के बाद जब भी मौका मिलता था, मैं मोना आंटी को चोदने लगा। मोना आंटी भी मुझसे चुदने लगीं। मोना आंटी को मेरा कड़क और देर तक चलने वाला लंड पसंद आ गया था। सच कहूँ तो आज भी मैं मोना आंटी को चोदता हूँ। उसके बाद मैंने अपनी छोटी मोना आंटी को भी चोदा, उसकी कहानी अगली बार बताऊंगा। मेरी कहानी अच्छी लगी या नहीं? मुझे मेल करें।

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