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सफेद नाइटी वाली टीचर | teacher student sex story

 सफेद नाइटी वाली टीचर

कॉलेज, अफवाहें और अनुजा मैम

कॉलेज के छात्र अनुजा मैडम को लेकर कुछ ज्यादा ही उत्साहित रहते थे।

29 साल की उम्र, गोरा रंग, हल्का सा काजल, और ऐसी चाल कि लड़कों के दिल की धड़कनें रुक जाएँ।


हर दिन जब वो कॉलेज की पार्किंग से निकलतीं, तो उनके सफेद दुपट्टे के नीचे से झाँकते कसे हुए ब्रेस्ट, और तेज़ perfume की ख़ुशबू, लड़कों की शाम को गर्म कर देती थी।


पर एक अफवाह थी —

"रात में वो नाइटी पहनकर खिड़की के सामने खड़ी होती हैं... और कुछ ऐसा दिखाती हैं जो किसी को समझ नहीं आता।"


कोई कहता, “वो अकेली नहीं रहती…”

कोई कहता, “वो लड़कों को फँसाती हैं, फिर…”

कोई कहता, “उस खिड़की के पीछे एक और चेहरा है…”

पर इन सबके बीच एक लड़का था जो सिर्फ़ देखता था —

विवेक।


 पहली झलक – नाइटी के अंदर की हलचल


विवेक स्टाफ क्वार्टर के सामने वाली हॉस्टल की तीसरी मंज़िल पर रहता था।

रात के 11 बज चुके थे। सब लड़के सो चुके थे, पर उसकी आँखें खुली थीं… और सीधा नज़ारा उस खिड़की का।


अनुजा मैम की लाइट ऑन थी —

वो अपने कमरे में अकेली चलती हुई दिखाई दे रही थीं।


वो सफेद, ट्रांसपेरेंट नाइटी पहने हुए थीं —

इतनी हल्की कि ब्रेस्ट की गोलाई और निप्पल की परछाई बाहर से साफ़ दिख रही थी।


वो बाल सुलझा रही थीं, कभी मुस्कुरा रही थीं, कभी खुद से बातें कर रही थीं।


अचानक उन्होंने नाइटी की डोरी ढीली की —

और एक कंधा पूरा खुल गया।

अब एक ब्रेस्ट नाइटी के बाहर था, उसकी हल्की सी थरथराहट दिख रही थी।


विवेक यह सब चुपचाप देख रहा था, सांस थामकर।

पर अगली पल, अनुजा मैम की निगाहें सीधी उसकी खिड़की से टकराईं।


वो मुस्कराईं।


फिर उनकी ऊँगली हौले से उठी —

और खिड़की की ओर इशारा किया।


“आ जाओ…”

उनकी आँखें कह रही थीं।


विवेक को एक झटका सा लगा। क्या यह उसके लिए था?

क्या वो जानबूझकर दिखा रही थीं?


वो वहीं जड़ हो गया।


परछाई… और डर का झटका


जैसे ही वो खिड़की की ओर दोबारा देखने लगा,

उसे एक परछाई दिखी।


अनुजा मैम के पीछे, हल्की-सी... जैसे कोई आदमी हो।

उसका चेहरा साफ़ नहीं दिखा, पर वह वहाँ था।


मैम ने कोई रिएक्शन नहीं दिया।

ना चौंकीं, ना मुड़ीं…

क्या वो जानती थीं? या वो परछाई… कोई और थी?


विवेक पूरी रात सो नहीं पाया।

उसके दिमाग़ में वही सफेद नाइटी, वो खुला ब्रेस्ट, वो परछाई…

और वो इशारा… "आ जाओ"


क्या वो किसी गेम का हिस्सा बन रहा था?


अगली रात उसने ठान लिया —

जाना है, देखना है… सच्चाई क्या है।



रात 11:15 पर वो हॉस्टल से निकला, दबे पाँव।

स्टाफ क्वार्टर की बत्ती जल रही थी, वही कमरा… वही खिड़की खुली।


उसने हल्के से दरवाज़ा खटखटाया।


“आ जाओ…”

भीतर से वही आवाज़ — धीमी, कामुक, आत्मविश्वासी।


विवेक ने भीतर कदम रखा।


अनुजा मैडम सामने खड़ी थीं —

वही नाइटी, लेकिन अब और भी खुली, बिना इनरवियर के।


उनकी आँखों में कोई डर नहीं था,

सिर्फ़ एक अधूरी चाह…

और एक साफ़ लक्ष्य – विवेक को पिघलाना।


वो आगे बढ़ीं,

और उसकी उंगलियाँ सीधा उसकी पैंट पर रख दीं।


“इतनी रात को लड़के घर नहीं आते… लेकिन तुम आए… क्यों?”


“क्योंकि… आपने बुलाया…”


“या तुम चाह रहे थे कि कोई तुम्हें पिघलाए?”



मैम ने अपने हाथों से उसकी शर्ट उतारी,

फिर खुद की नाइटी को कंधों से सरका दिया।


दो भारी ब्रेस्ट उसकी छाती से टकराए, और उसके होंठ उनपर लग गए।


“चूसो…”

उन्होंने खुद कहा।


राहुल अब उनके ब्रेस्ट को जोर से चूस रहा था,

उनकी उंगलियाँ अब उसकी कमर के अंदर जा चुकी थीं।



तभी…


कमरे के पीछे एक दरवाज़ा हिला।


विवेक रुक गया।


“वो क्या था?”


मैडम मुस्कराईं —

“कोई नहीं… बस मेरी दूसरी आदत।”


“दूसरी?”


पर जवाब देने से पहले, उन्होंने उसे बेड पर धकेला।


"अब सवाल नहीं… सिर्फ़ जिस्म"


वह ऊपर आईं, और धीरे-धीरे खुद को उस पर सरकाया।

“अंदर ले लो मुझे… पूरा… गहराई तक…”


उन्होंने पीठ घुमा ली, और झुककर उसकी जांघों पर हाथ रखा —

“अब मैं कंट्रोल करूंगी…”



उन्होंने करवट ली, और विवेक ने पीछे से खुद को धीरे और फिर तेज़ घुसाया।

“तेरे हर धक्के पर मैं पिघल रही हूं…”



 लेकिन दरवाज़ा फिर खुला


सेक्स के बीच… एक दरवाज़ा खुला।


एक और औरत अंदर आई — लाल नाइटी में।


“अब मेरी बारी है,”

उसने कहा।


विवेक हक्का-बक्का था।


“मैम… ये?”


“विवेक… तुम हमारे खेल में आ चुके हो।

अब हर हफ्ते… एक नई नाइटी, एक नई रात।”

उन्होंने आंख मारी।



विवेक की साँसें अब भी तेज़ चल रही थीं।


अनुजा मैडम की सफेद नाइटी अब उसके गले के पास थी,

और उसकी उंगलियाँ अब भी उसके सीने पर थिरक रही थीं।


वो बेड पर अधनंगे पड़े थे।

अनुजा मैडम की जांघों के बीच उसकी गर्म साँसें अब भी अटकी हुई थीं।


लेकिन तभी… वो दरवाज़ा खुला।


वो औरत अंदर आई — लाल ट्रांसपेरेंट नाइटी में।

उसकी आँखों में चाहत की ज्वाला थी, और होंठों पर वो तेज़ मुस्कान जो शिकार से पहले शिकारी के चेहरे पर आती है।


विवेक ने झटके से पूछा —

“मैम… ये कौन हैं?”


अनुजा मैम मुस्कराईं।

“ये रचना मैम हैं — मेरी सबसे क़रीबी… और सबसे गंदी दोस्त।”


रचना मैम ने बेड की दूसरी तरफ से चादर खींच दी,

और धीरे से विवेक के पैरों के पास बैठ गईं।


“आज ये लड़का सिर्फ़ तेरा नहीं, अनु…

हमारा है।”


अनुजा ने अपनी सफेद नाइटी को कंधों से और नीचे खिसका दिया —

अब उनका पूरा शरीर नग्न था।

गोल ब्रेस्ट, हल्के भूरे निप्पल, चौड़ी कमर और चिकनी जांघें।


रचना अब धीरे-धीरे लाल नाइटी की डोरी खोलने लगी।

नीचे से उसका बदन और भी बोल्ड था — थोड़े बड़े बूब्स, गुलाबी एरिओला और नीचे से क्लीन शेव्ड।


विवेक हक्का-बक्का था।

उसने कभी सोचा भी नहीं था कि ये दोनों औरतें एकसाथ उसे इस तरह बुलाएँगी।


रचना मैम ने सबसे पहले विवेक की पैंट पूरी तरह उतारी,

और अपने गर्म होंठों से उसका लिंग अपने मुँह में लिया।


वो धीरे-धीरे उसे चूस रही थी — गहराई तक।

वहीं अनुजा मैम ने अपने ब्रेस्ट विवेक के चेहरे पर रख दिए।


“चूसो इसे… जोर से।”

वो बोली।


विवेक अब ब्रेस्ट चूसते हुए, नीचे रचना के मुँह में अपने लिंग का स्पंदन महसूस कर रहा था।


दो औरतें… एकसाथ…

वो अब पूरी तरह उनका हो चुका था।



अब अनुजा मैम बेड पर झुक गईं, हाथों और घुटनों के बल।

उनकी गांड ऊपर थी, और नीचे से गीली हो चुकी थी।


“अब पीछे से डालो मुझे…”

उन्होंने आदेश दिया।


विवेक ने लिंग उनके अंदर धीरे से घुसाया —

गर्म, भीगा और कसाव भरा…

हर धक्का उन्हें और गीला कर रहा था।


रचना मैम अब उनके नीचे आ गईं —

और अनुजा के ब्रेस्ट चूसने लगीं, जबकि विवेक उन्हें चोद रहा था।


तीनों का बदन, एक rhythm में चल रहा था।

एक गर्म रात का तालमेल


अनुजा डॉगी पोज़ में, पीछे से विवेक उन्हें ले रहा


रचना नीचे लेटी, अनुजा के ब्रेस्ट चूस रही




अब रचना मैम विवेक के ऊपर आईं, और उन्होंने ऊपर से खुद को उसकी लिंग पर बैठा लिया।


“अब मेरी बारी…”

वो धीरे-धीरे ऊपर-नीचे हिलने लगीं।


वहीं अनुजा मैम पीछे से आईं, और विवेक का चेहरा अपने ब्रेस्ट में दबा लिया।


एक ब्रेस्ट मुँह में, एक योनि पर — थ्रीसम का असली स्वाद।



अब अनुजा और रचना एक-दूसरे की तरफ मुड़ गईं,

और किस करने लगीं — गहरा, गीला और तीव्र।


विवेक ने देखा — दो औरतें, ब्रेस्ट से ब्रेस्ट चिपकाकर एक-दूसरे की जांघों को सहला रही थीं।


अनुजा ने रचना की योनि पर मुँह लगाया —

और क्लिटोरिस चूसना शुरू किया।


रचना कांप रही थी, चीख रही थी —

“तेरी ज़ुबान… पागल कर देती है।”



अनुजा अब फिर से विवेक के ऊपर आईं, और बोलीं:

“इस बार… हम दोनों तुझमें चाहती हैं।”


रचना पीछे से उनके साथ आ गईं —

और धीरे से विवेक का चेहरा चूमते हुए, उनका हाथ अपने शरीर में ले गईं।


वो लिंग पर बैठीं, अनुजा मुँह पर।


विवेक अब ऊपर से नीचे तक डूबा था —

एक ब्रेस्ट उसके मुँह में, और दूसरी नीचे उसकी जांघों पर।



अब रचना चीखी —

“मुझे आ रहा है… आ रहा है!”


वो कांपती हुई climax पर पहुँची, उसकी योनि और भी भीग गई।


विवेक अब अनुजा को तेज़ धक्के दे रहा था,

और उन्होंने भी खुद को पीछे से कस लिया।


तीनों ने एकसाथ climax किया — एक गरमाहट, एक लहर… जो सबके जिस्म में फैल गई।


तीनों चुप थे।

बेड की चादर गीली हो चुकी थी — पसीने और रसों से।


विवेक अब उनके बीच लेटा था,

जब रचना मैम ने कहा:


“अब हर शुक्रवार…

हमारा गुप्त क्लब एक्टिव होता है।

तैयार रहना… अगली बार एक और टीचर आएगी।”


विवेक ने पूछा,

“और अगर मैं मना करूँ?”


अनुजा मुस्कराईं:

“तब तुम्हारी सारी रिकॉर्डिंग वायरल हो जाएँगी…”

उन्होंने एक मोबाइल उठाया —

जिसमें सबकुछ रिकॉर्ड हो चुका था।


आगे क्या होगा?


विवेक अब इस सेक्स क्लब का हिस्सा बन चुका है


हर हफ्ते एक नई रात, एक नई नाइटी, और नई फ़ैंटेसी


पर क्या वो इससे बाहर निकल पाएगा?

या… वो खुद एक शिकारी बन जाएगा?

सफेद नाइटी वाली टीचर पार्ट 2

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