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आन्टी ने घोड़ी बनकर चुदवायी

आन्टी ने घोड़ी बनकर थुकवाया

मैं एक बार चाचा के घर गया तो उनकी बहू यानि मेरी आंटी अकेली थी। उन्होंने मुझे रोक लिया और बात करते करते … आंटी की चूत ठुकाई की कहानी का मजा लें।

दोस्तो, मेरा नाम प्रमोद है और मैं एक जिगोलो हूँ। मैं मध्यप्रदेश इंदौर का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 24 साल है। ये मेरी पहली सेक्स कहानी मेरी प्यारी आंटी की चूत ठुकाई की है। मेरी आंटी ने मुझसे चूत चुदवा कर जिगोलो बना दिया था।


मैं आपको अपने बारे में बता देता हूँ, मेरी हाइट 5 फुट 7 इंच है। कद-काठी भी ठीक-ठाक है। मेरे लंड का साइज 6 इंच है, जो किसी भी गर्ल, आंटी या आंटी की चूत को चोद कर उनकी पूरी तरह से प्यास बुझा सकता है।


मैं काफी समय से सेक्स कहानी पर सेक्स स्टोरी का मज़ा लेता आया हूँ। मुझे इस साइट पर ठुकाई की स्टोरी पढ़ने में काफ़ी मज़ा आता है। फिर मैंने सोचा कि अपनी आपबीती आप सबके साथ भी साझा करूं ताकि आप भी इसका मज़ा ले सकें।


ये बात 2017 की है। मैं अपने किसी काम से अपने चाचा के घर गया था, जो इंदौर में ही दूसरी कॉलोनी में रहते थे। उनका एक बेटा था, जो कि शादीशुदा था … और उम्र में मुझे कुछ बड़ा था। उसकी पत्नी मेरी आंटी लगती थीं। आंटी का नाम रूपा था।


मैं दिन मैं 2 बजे चाचा के घर पहुँचा। मैंने घर के बाहर लगी कॉलबेल बजाई। एक मिनट बाद रूपा आंटी ने दरवाजा खोला। उनको देख कर तो मेरे होश ही उड़ गए … रूपा आंटी आज क्या मस्त माल दिख रही थीं। उनको देख कर तो मैं दरवाजे पर खड़ा खड़ा ही अपनी आंखों से आंटी को चोदने लगा।


फिर रूपा आंटी ने आवाज दी- कहां खो गए?

इस पर मैं झेंप गया और बोला- कहीं नहीं।


उन्होंने मुझे अन्दर बुलाया और पानी दिया। मैंने चाचा के लिए पूछा, तो उन्होंने बोला कि चाचा और आपके भैया किसी काम से बाहर गए हैं … शाम तक आएंगे।

मैंने पानी पी कर जाने को बोला, तो आंटी बोलीं- थोड़ी देर तो रुको, बाद में चले जाना। मैं आपके लिए चाय बनाती हूं।


वो रसोई में जाने लगीं, मैंने अपनी आंखों से उनकी ठुकाई फिर से शुरू कर दी। पीछे से क्या मस्त गांड मटकती हुई दिख रही थी। मेरा मन कर रहा था कि झपट कर पकड़ लूं और आंटी को चोद डालूं।


मुझे रहा नहीं जा रहा था तो मैं ऐसे ही बातें करते हुए उनके पीछे पीछे चला गया। मैं आंटी के साथ कुछ घर की बातें करने लगा। बातें करना तो एक बहाना था, मैं तो लगातार उनको ही देख रहा था।


वो हंस कर पूछने लगीं- आप हमारी तरफ तो आते ही नहीं हो?

इस पर मैंने भी मजे लेते हुए बोल दिया- आप बुलाती ही नहीं हो।


फिर हम दोनों चाय ले कर हॉल में आ गए और चाय पीने लगे। मेरी नजर आंटी के बोबों पर ही टिकी थी … क्या मस्त लग रहे थे।


उन्होंने मुझे अपने चूचे देखते हुए देख लिया। वो अचानक से बोलीं- क्या देख रहे हो?

आंटी की एकदम से निकली तेज आवाज से डर के मारे मेरे हाथों से कप गिर गया।

मैंने सॉरी बोल दिया और उन्होंने कहा- कोई बात नहीं।


वो कप के टुकड़े उठाने में लग गईं। इस वक्त आंटी झुक कर सफाई कर रही थीं। इसलिए मेरी मादरचोद नजर फिर से उनके बोबों पर चली गई। तभी एकाएक उनका साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया,। जिससे उनके बोबे साफ साफ दिखाई देने लगे। ये हरकत कैसे हुई थी, मुझे नहीं मालूम था, लेकिन पल्लू गिरने के बाद आंटी ने अचानक से मेरी तरफ देखा।


वो अपना पल्लू ठीक करते हुए बोलीं- क्या देख रहे हो?

मैंने बोला- कुछ नहीं आंटी … बस आपको सफाई करते देख रहा था।

ये सुनकर वो मुस्कराने लगीं … और अपने काम में लग गईं।


फिर उन्होंने मुझसे अचानक से पूछा- आपकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?


इस पर मैंने मना कर दिया तो आंटी बोलीं- यार आप तो इतने स्मार्ट और गुड लुकिंग हो … और कोई गर्लफ़्रेंड नहीं है … ऐसा हो ही नहीं सकता। कोई मिली नहीं क्या?

उनकी बातों से मुझे लगने लगा कि आज आंटी को चोदने का काम बन सकता है।


मैं बोला- हां आंटी … मुझको कोई आपके जैसी मिली ही नहीं।

इस पर वो मुस्कराने लगीं और बोलीं- मेरे में ऐसा क्या ख़ास है?

मैंने कहा- आंटी आप बहुत नहीं, बहुत ही ज्यादा सुंदर हो।

इस पर वो आंख नचाकर बोलीं कि अच्छा … मैं इतनी सुन्दर लगती हूँ, तो आप मुझे ही अपनी गर्लफ्रेंड बना लो।


आंटी से यही सब बातें करते करते मेरा लंड पैन्ट के अन्दर तम्बू की तरह खड़ा हो गया। मैंने गौर किया कि आंटी मेरे लंड को फूलते हुए देख रही थीं।


मैंने भी जानबूझ कर अपने लंड को ठीक करने के बहाने आंटी के सामने ही लंड को सहला दिया।

इस पर आंटी बोलीं कि बेचैनी हो रही है क्या?

मैंने कुछ नहीं कहा।


तो आंटी ने आगे पूछा- अब तक किसी लड़की के साथ मजे किए हैं?

इस पर मैं समझ गया कि अब मामला साफ़-साफ़ होने लगा है। मैं समझ गया था कि आंटी चुत चुदाने के लिए तैयार हैं … बस मुझे पहले पहल करनी होगी।


मैं बोला- नहीं … लेकिन आज मन है।

ये कहते हुए मैंने आगे को सरक कर आंटी को थाम लिया और उन्हें किस करने लगा। आंटी भी मेरा साथ देने लगीं।


हम दोनों सोफे पर बैठे हुए ही आपस में एक दूसरे में खो गए। हम दोनों हॉल में ही एक दूसरे से लिपलॉक करने लगे। मैं आहिस्ता आहिस्ता उनके बोबों को दबाने लगा, जिससे आंटी और भी गर्म हो गईं।


मैं हल्के से उनकी साड़ी में हाथ डालकर उनकी चूत को सहलाने लगा, जिससे वो और भी ज्यादा उत्तेजित हो गईं।

अब आंटी बोलने लगीं- ओअह … उम्म्ह … अहह … हय … याह … जानू और प्यार करो मुझे … मैं बहुत दिनों से प्यासी हूँ, आज मुझे खूब प्यार करो।


आंटी मेरे लंड को पैन्ट के ऊपर से मसलने लगीं और उन्होंने मेरी पैन्ट की चैन खोल कर लंड को बाहर निकाल लिया। आंटी मेरे खड़े लंड कोई हिलाने लगीं।

मैंने उनकी साड़ी को उनकी जांघों तक सरकाया तो आंटी बोल उठीं कि बेडरूम में चलते हैं।


हम दोनों बेडरूम में आ गए। जैसे ही हम बेडरूम में पहुंचे, मैंने उनको पीछे से पकड़ लिया और उनके गले पर चूमने लगा।

मुझे रुका नहीं जा रहा था, तो आंटी बोलीं- थोड़ा रुको तो सही।


पर मैं कहां रूकने वाला था। मैं लगातार आंटी को किस करता रहा और उनको दरवाजे से ही अपनी बांहों में उठा कर बेड पर ले गया। आंटी को बिस्तर पर लिटा कर मैं उनको किस करने लगा। जिससे वो और भी ज्यादा गर्म हो गईं। उनके मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगीं।


आंटी- ओअह … उम्म्ह … अहह … हय … याह … मज़ा आ रहा है … ऊह और करो।


मैंने आंटी को किस करते करते उनका ब्लाउज खोल दिया। उन्होंने ब्लैक कलर की ब्रा पहन रखी थी, जिसे मैंने निकाल फेंका। आह क्या मस्त बोबे थे। मैं आंटी के दूध पीने लगा और दबाने लगा। जिससे शायद आंटी को दर्द हो रहा था।


आंटी बोलीं कि आह … प्यार से दबाओ न … अब मैं तुम्हारी ही हूँ … मैं भी तुम से चुदाने को बेकरार हूँ।


मैंने उनकी साड़ी को पूरी निकाल फेंकी। अब वो मेरे सामने सिर्फ चड्डी में पड़ी थीं। मैं चड्डी के ऊपर से आंटी की चूत को मसलने लगा, जिससे वो और गर्म हो गईं। आंटी की चड्डी गीली होने लगी थी। मैंने अपने पैरों से उनकी चड्डी भी निकाल दी और मैंने उनको पूरी तरह से नंगा कर दिया।


अब मैं आंटी की खूबसूरत फिगर को देख रहा था और एकदम से झपट्टा मारते हुए मैं उन पर चढ़ गया। मैं आंटी के गले पर किस करने लगा। ऐसे ही किस करते हुए मैं नीचे आता गया और उनकी नाभि पर किस करने लगा। इससे आंटी इतना ज्यादा उत्तेजित हो गईं कि मेरे सिर को पकड़ कर दबाने लगीं और उत्तेजित होकर ‘शीईईईई उईईई … आह ओऊऊ …’ करने लगीं।


मैंने नीचे खड़े होकर अपना लंड उनको हाथ में दे दिया। मैंने आंटी से लंड को किस करने को बोला। वो मेरे लौड़े को मुँह में ले कर चूसने लगीं।


फिर मैं 69 की पोजीशन में आ गया। मैं उनकी टांगों के बीच में आकर उनकी चूत को किस करने लगा, जिससे आंटी और भी ज्यादा उत्तेजित हो गईं और बोलने लगीं- देवर जी, अब और मत तड़पाओ … अपना लंड अपनी प्यासी आंटी की चूत में डाल दो … आआहह उईईईई … शीई … मेरी चूत को चोद चोद कर फाड़ दो।


मैंने आंटी के दूध दबाते हुए कहा- आंटी, आज मैं आपकी चुत के चिथड़े उड़ा दूँगा।

आंटी हंस कर बोलीं- फिर इसके बाद क्या अपनी आंटी को बिना चुत के कर दोगे?

मैंने भी हंस कर आंटी को चूम लिया।


आंटी- यार तेरे भैया अपने काम में इतने ज्यदा बीजी रहते हैं कि मुझे चोदना ही भूल गए।

मैंने कहा- कोई दिक्कत नहीं है आंटी। आपका देवर तो आपकी सेवा के लिए आ गया है।


फिर मैंने भी आंटी की टांगें फैला कर अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया। अभी मेरा आधा लंड ही अन्दर गया था कि आंटी की चीख से कमरा भर गया।

आंटी दर्द से तड़फते हुए बोलने लगीं- आह मार दिया … हरामजादे मेरी चूत फाड़ दी।


मेरा लंड आंटी की चूत में आधा चला गया था। मैंने उनकी चीख पुकार पर कोई ध्यान नहीं दिया। बल्कि फिर से एक और धक्का दे मारा।


आंटी Ki Chut Chudai Ki Kahani

इस मर्तबा मेरा पूरा लंड उसकी चुत में समा गया। आंटी फिर से रोने लगीं, लेकिन मुझे उनकी परवाह थी ही नहीं।


मैंने आंटी की जोरदार ठुकाई चालू कर दी। अपने लंड के लम्बे लम्बे धक्के आंटी की चुत में देता रहा।


थोड़ी देर उनके मुँह से कामुक आवाजें आने लगीं- इश यस्स आह आह। वो ‘आह ओन्हन्न यस … और ज़ोर से चोदो मुझे … आह!

ठुकाई की मस्ती छाने लगी थी। मैं अपने पूरे जोश से उनकी ठुकाई करने लगा।


कुछ देर बाद वो अकड़ने लगीं, शायद वो झड़ गई थीं … पर मेरा अभी बाकी था। मैं पूरे जोश से लगा रहा।


थोड़ी देर बाद आंटी भी दुबारा से तैयार हो गईं और मेरा साथ देने लगीं। वो अब पूरे जोश के साथ थीं, उनके मुँह से कामुक आवाजें कमरे के माहौल को और भी मस्त कर रही थीं- अह्ह्ह्ह … इसस्स … इश्स … चोद दे मुझे … और ज़ोर से चोद मेरी चूत का भोसड़ा बना दे … आज जैसी ठुकाई मिली इस चूत को … मानो ऐसा लग रहा था जैसे पहले कभी ठुकाई नहीं हुई हो।


मैं अपने जोश में लगा था। बीस मिनट की ठुकाई में वो दूसरी बार झड़ने वाली थीं। अभी मेरा भी होने वाला था। मैंने कहा- रुको यार … मेरा भी होने वाला है … जल्दी बोलो … कहां निकालूं?

आंटी बोलीं- अन्दर ही निकाल दो … मुझे तुम्हारा वीर्य अन्दर महसूस करना है।

मैंने आंटी की चूत के अन्दर ही रस निकाल दिया।


वो मुझसे लता की तरह लिपट गईं। थोड़ी देर हम ऐसे ही पड़े रहे। कोई दस मिनट बाद हम दोनों अलग हो गए।


आंटी बोलीं- आज से मैं तेरी गुलाम हो गई हूँ, जब भी तेरा चोदने का मन हो, मुझे चोद लेना।

वो मुझे किस करने लगीं। मैंने भी उनको चूमा।


फिर हमने अपने अपने कपड़े पहने और बाहर हॉल में आ गए। कुछ देर हम इधर उधर की बातें करने लगे। थोड़ी देर में मेरा लंड फिर से चोदने को तैयार था।

मैंने रूपा आंटी से बोला- मैं आपको एक बार और चोदना चाहता हूँ।

रूपा आंटी ने मना कर दिया और बोलीं- प्रमोद … अब घर वालों के आने का टाइम हो गया है … तो फिर कभी करेंगे।


रूपा आंटी ने मुझे जब यह बोला, तो मैंने भी मोबाइल में समय देखा। हमको काफी देर हो चुकी थी। फिर मैं वहां से उनको एक हग और किस करके घर चला आया।


उसके बाद मैंने बहुत बार मेरी प्यारी आंटी की चूत ठुकाई की। उसके बाद आंटी ने अपनी पड़ोसन आंटी को मेरे बारे में बताया, तो वो भी मुझसे चुदने को बोलने लगी। फिर आंटी ने मुझे बताया, तो मैंने मना कर दिया।


आंटी के जोर देने पर मैंने उनसे मिलने के लिए हां बोल दिया। उस दिन मैंने दोनों को एक साथ चोदा।


फिर आंटी की पड़ोसन मुझे बार बार बुलाने लगीं और होटल में मिलने लगीं। वो मुझे ठुकाई के लिए पैसे भी देने लगीं।


उन पड़ोसन आंटी ने मेरा नंबर एक अन्य औरत को भी दे दिया और फिर इस तरह मैं लंड की सर्विस देने लगा।


तो दोस्तो, यह थी मेरी प्यारी आंटी की चूत ठुकाई की कहानी और मेरे जिगोलो बनने की सेक्स स्टोरी। आंटी की ठुकाई में मुझे बहुत मज़ा आया। आपको मेरी ये कहानी पढ़ कर मजा आया या नहीं … कुछ कहना हो, तो प्लीज़ मुझे ईमेल करें।


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