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बरखा को जंगल में चोदा

बरखा को जंगल में चोदा

एक बार मेरे भाई ने मुझे बाथरूम में नंगी देख लिया और उस दिन से वो मेरे सेक्सी जिस्म को भोगना चाहते थे। पढ़ें कि कैसे मेरे भी ने चोदा मुझे सड़क किनारे झाड़ी में!

हेलो दोस्तो, कैसे हो?

मैं बरखा छतीशगढ़ से!

मेरी पिछली कहानी

बाप बेटी की ठुकाई करवा दी

आपने पढ़ी और पसंद की।


आज मैं एक बार फिर लाई हूँ अपनी सच्ची कहानी … जिसे पढ़कर आपका लंड खड़ा हो जायेगा।


मेरा एक बड़ा भाई जिसका नाम चिंतेश्वर है लोग प्यार से उन्हें चिंटू कहते हैं … काफी स्मार्ट और हट्टे-कट्टे!


एक बार जब चिंटू गाँव आए हुए थे तो मैं बाथरूम में नहाने गयी और कुण्डी लगाना भूल गयी। मैं हमेशा नंगी नहाती हूँ, उस दिन भी नंगी थी।

और इतने में अचानक भैया अंदर आ गये; मुझे नंगी देखकर हक्के बक्के रहे गये।


मैं शर्म से लाल पीली थी क्यूंकि अभी तक नंगी मुझे मेरे बॉयफ्रेंड ने ही देखा था।


उस दिन के बाद भैया का नजरिया ही बदल गया।


एक दिन मेरे बॉयफ्रेंड ने मुझे फोन करके कहा कि मैं अपनी मम्मी की साड़ी और ब्लाउज पहन कर उनको फोटो भेजूं … और उपर से अपने बूब्स दिखाऊं।

तो मैंने मम्मी की साड़ी और बिना ब्रा के ब्लाउज पहन ली। उसके बाद मम्मी के कपड़ों में ही बाहर चौक में झाड़ू लगाने लग गयी।

जैसे ही मैं झाड़ू मार रही थी, उतने में चिंटू आ गए और सामने कुर्सी पर बैठ गये।


मेरा ब्लाउज ढीला होने के कारण मेरी बड़ी बड़ी चूचियां ऊपर से साफ़ दिखने लग गयी यहाँ तक कि मेरे चुचियों के भूरे रंग के निप्पल भी दिख रहे थे।

मैंने तिरछी नजर देखा तो चिंटू बड़े गौर से देख रहे थे।


मैं समझ गयी कि चिंटू अब मेरी चूत बजाने के लिए उतावले हो रहे हैं। अब वो हर दिन में वासना की नज़र से देखने लग गये। मैं सब समझ रही थी … मन तो मेरा भी हो रहा था पर हिम्मत नहीं हुई ना उनकी और न मेरी!

अगले दिन चिंटू शहर चले गये जॉब के लिए!


6 महीने के बाद चिंटू ने फोन किया और कहा- मैं कल कुछ काम से गाँव वाले बाज़ार आ रहा हूँ, मुझे तुझसे मिलना है।

हमारे गाँव 15 किलोमीटर की दूरी पर ही बाज़ार है और वहीं मेरा कॉलेज भी। मैं तब बी ए सेकेंड इयर में थी।

मैंने कहा- ठीक है चिंटू!

चिंटू ने कहा- वहीं होटल में कमरा ले लेना। हम वहीं बैठ कर खाना खायेंगे और आराम भी करेंगे।

मैंने कहा- ठीक है चिंटू!


अगले दिन मैं बाज़ार चली गयी। पहले मैं कॉलेज गयी और उसके बाद आई और होटल में रूम बुक करने गयी। पर मुझे कहीं भी रूम नहीं मिला। मैं दो घंटे तक पूरे बाज़ार में रूम ढूंढती रही पर कहीं नहीं मिला।

सुबह के 10 चुके थे।


इतने में चिंटू भी आ गये।

मैंने चिंटू से कहा- कहीं भी रूम नहीं मिला।

तो चिंटू ने कहा- कोई बात नहीं।


फिर हमने एक दुकान में चाय पी और पकौड़े खाए।

उसके बाद हमने बाज़ार में ऐसी जगह तलाशनी शुरू की जहाँ कोई आता जाता ना हो। पर ऐसी जगह कहीं नहीं मिली।


फिर चिंटू की नज़र सामने की पहाड़ी पर पड़ी … वहां से एक रास्ता था जो ऊपर किसी गाँव की तरफ जा रहा था।

चिंटू ने कहा- चल वहां चलते हैं, वहां कोई नहीं आएगा।


मैं चिंटू की बातों को समझ चुकी थी कि आज मैं अपने चिंटू से चुदने वाली हूँ।

मेरा भी बहुत मन था अपनी चूत में लंड लेने का; दो महीने से बॉयफ्रेंड नहीं चोदा नहीं था।


हम दोनों चिंटू बहन उस पहाड़ी की तरफ चले गये … वहीं जाकर एक झाड़ी के सहारे बैठ गये। झाड़ी भी रास्ते के किनारे थी यानि आने जाने सभी हम साफ़ देख सकते थे।

पर क्या करते … और कुछ नहीं था … हम वहीं बैठ गये।


मैं उसने दिन हल्के नारंगी का कुर्ता और सफ़ेद रंग का सलवार पहन रखा था और चिंटू ने नीले रंग की कमीज और नीले रंग की जींस पहनी हुई थी।


मेरा कुर्ता बहुत टाइट था जिसकी वजह से मेरी चूची उपर से दिख रही थी। बैठे बैठे चिंटू की नजर मेरी चूची पर पड़ती और बातें करते।


अब वो बड़े गौर से देखने लग गये।

मैंने कहा- क्या देख रहे हो चिंटू?

चिंटू ने कहा- कुछ नहीं।

मैंने कहा- कुछ तो देख रहे हो?

तो इस बार चिंटू ने हिम्मत करके कह ही दिया- तेरे सीने को देख रहा हूँ।


मैंने कहा- ऐसा क्या है मेरे सीने में?

तो चिंटू ने कहा- तेरे सीने ने ही तो मुझे पागल बना रखा है।

मैंने कहा- पर ऐसा क्या है?


तो चिंटू की झिझक अब कम हो चुकी थी, चिंटू ने कहा- तेरी कोमल और बड़ी बड़ी चूचियां जिनमें मुझे डूब जाने का मन कर रहा है।

मुझे थोड़ी सी शर्म आई मगर मैं फिर भी मुस्कुरा दी।


चिंटू की हिम्मत बढ़ गयी … अब चिंटू ने कहा- बरखा तेरी इन चुचियों में ऐसा क्या जादू है … कितनी सेक्सी और हॉट हैं … मुझे इनको छूने का मन कर रहा है।

मैं कुछ ना बोली और आँखें नीचे कर ली।


उसके बाद चिंटू आगे बढ़ा और मेरे कुर्ते के ऊपर से मेरी चूची पर हाथ रख दिया। पहली बार अपने चिंटू का हाथ अपने चुचियों पर महसूस करके बहुत अच्छा लग रहा था। एक अलग से हलचल हो रही थी, शरीर में एक कम्पन थी। ये अहसास बहुत अलग था।


उसके बाद चिंटू ने धीरे धीरे मेरी चूचियां मसलना शुरू किया। धीरे धीरे मेरा जोश भी बढ़ने लगा।

अबकी बार चिंटू ने अपने हाथ मेरे कुरते के अन्दर डाल कर मेरी चूचियां दबाना शुरू कर दिया। मैंने अपनी आँखें बंद कर दी।


इतने में उस रास्ते दो औरत और एक मर्द गुजरे तो चिंटू ने झट से अपना हाथ हटा लिया। शायद उन लोगों ने नहीं देखा।


उनके जाने के बाद चिंटू ने दोनों हाथ मेरे गालों पर रख कर मेरे फूल से ओंठ चूसना शुरू किया। मेरे गुलाब जैसे ओंठों को चिंटू ने खूब चूसे। मैंने भी उन्हें किस करना शुरू किया।


अब चिंटू खड़े हुए और मैं वहीं पत्थर पर बैठी रही। चिंटू ने अपनी जींस की जिप खोली और अपना अपना तनतनाता लंड बाहर निकाला।

ओह माय गॉड … क्या लंड था इतना मोटा और बड़ा तो मेरे बॉयफ्रेंड का भी नहीं था!


चिंटू ने लंड बाहर निकाला, कहा- बरखा मेरा लंड चूस न!

मैंने भी बिना देरी किये चिंटू का लंड हाथ में लिया और मुंह में डाला पर ओ मुंह में गया ही नहीं।


फिर मैंने आगे का हिस्सा ही बस मुंह में डालकर उस मस्त लंड को चाटने और चूसने लग गयी।


अपने बॉयफ्रेंड का लंड तो मैंने कई बार चूसा था पर आज जो मजा जो आनंद चिंटू के लंड चूसने में आ रहा है वो कभी नहीं आया।

सच में क्या लंड था चिंटू का … ऐसे ही लंड की तो तलाश थी … ऐसा लंड जब मेरी चूत में जाएगा तो मुझे दुनिया का हर आनंद मिल जाएगा। अब तो मैं जल्दी से चिंटू का लंड अपनी चूत में लेने के लिय मचल रही थी।


काफी देर तक मैंने चिंटू का लंड ऐसे ही चूसा। इतने में उस रास्ते से एक अंकल और आंटी गुजरे। मैंने झट से चिंटू के लंड को अपने मुंह से बाहर निकाला। शायद उन्होंने भी हमें नहीं देखा।

उस रास्ते में हम ये करने को मजबूर थे क्यूंकि कहीं भी कोई रूम नहीं मिला।


उन लोगों के जाने के बाद चिंटू ने कहा- बरखा ज्यादा समय नहीं … लोग आ जा रहे हैं। बस तू सलवार नीचे कर … मैं तुझसे अब चोदना चाहता हूँ।


मैंने कहा- चिंटू ऐसे कैसे? कितने लोग आ जा रहे हैं। दिक्कत हो जाएगी।

चिंटू ने कहा- सच कह कि तू चुदना नहीं चाहती।

मैंने कहा- चिंटू, कौन पागल लड़की होगी जो इतने मस्त लंड से चुदना नहीं चाहेगी?

तो चिंटू ने कहा- चुद ले और टेंशन ना ले। कोई आएगा तब की तब देख लेंगे।


तो मैंने चिंटू से कहा- तुम मुझे नंगी करोगे क्या यहाँ बीच रास्ते में?

चिंटू ने कहा- नहीं बस तेरी सलवार थोड़ा नीचे सरकाऊंगा और तेरी कच्छी को एक तरफ करके लंड डालूँगा।

फिर मैंने हामी भरी।


चिंटू ने मुझे खड़ा किया और पहले तो मुझे सीने से लगाया और कहा- बरखा, मैं तुझे उसी दिन से चोदने के मूड में हूँ जब मैंने तुझे बाथरूम में नंगी देखा था … तेरे ये हसीन जिस्म देख कर मैं बहक गया। जब तेरा खुद का चिंटू ही बहक गया था तो सोच बाकियों का क्या हाल होता होगा।


उसके बाद मैंने चिंटू को खूब किस किया।


फिर चिंटू ने मेरी सलवार का नाड़ा खोला और घुटनों तक सरका दिया और मेरा कुर्ता ऊपर करके मेरी मासूम ही चूचियां बाहर निकाल दी।

अब चिंटू ने कहा- बरखा, एक टांग नीचे रख और एक टांग पत्थर पर!

फिर मैंने ऐसा ही किया।


चिंटू नीचे से आये और मेरी चूत में अपनी जीभ डालकर चाटने लग गये।


“उईइ माँ …” मेरे मुंह से यही निकला। क्या आनंद था वो क्या पल था वो … ऐसा पल हर लड़की के जीवन में आये।

चिंटू कुछ देर तक मेरी चूत ऐसे ही चाटते रहे।


उसके बाद चिंटू ने अपनी उंगली मेरी चूत में डाल दी। जैसे ही चिंटू ने चूत में उंगली डाली मुझे पेशाब आने लगा।

मैंने चिंटू को कहा- हटो मुझे पेशाब आ रहा है।

चिंटू ने कहा- यही तो मैं चाहता था। तू पेशाब मेरे मुंह में कर दे।


मैंने कहा- ये क्या बोल रहे हो चिंटू?

चिंटू ने कहा- सुंदर और हॉट लड़कियों का पेशाब पीने में बहुत मजा आता है।


तो मैंने सारा पेशाब चिंटू के मुंह के अंदर कर दिया। चिंटू कहने लगे- बरखा, तेरा पेशाब भी तो तेरे जैसा मस्त है। वाह … मेरी बहना बहुत मजा आ रहा है … तू भी कभी मेरा पेशाब पी कर देखना।

मैंने कहा- ठीक है चिंटू … फिर कभी!


फिर चिंटू ने मेरी कच्छी को एक तरफ सरका के अपना लंड मेरी चूत में डालने का प्रयास किया। पहली बार में लंड फिसल के दूसरी तरफ गया।

चिंटू ने कहा- बरखा, अपने चिंटू का लंड अपने कोमल हाथों से पकड़कर अपनी मासूम सी चूत में घुसा न!


मैंने चिंटू का लंड अपने हाथों लेकर अपनी चूत के छेद पर टिका दिया और चिंटू को कहा- धक्का मारो।

चिंटू ने एक ही झटके में सारा लंड अंदर पेल दिया।


मेरी चूत की सील तो मेरे बॉयफ्रेंड तोड़ दी थी। फिर भी मुझे बहुत दर्द हुआ। मैंने चिंटू से कहा- चिंटू दर्द हो रहा है।

तो वो ठहर गये।


कुछ देर रुकने के बाद चिंटू फिर से हल्के हल्के धक्के मारने लग गये।

मैंने कहा- चिंटू, अब दर्द महसूस नहीं हो रहा है।

कुछ देर बाद चिंटू की धक्कों की स्पीड बढ़ गयी।


चिंटू के हर धक्के से मेरी सिसकारी निकल रही थी- आहहह उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह … चोदो और जोर से चोदो चिंटू … आहह हहह!

इस तरह मैं लगातार सिसकारियां ले रही थी।


चिंटू भी किसी माहिर खिलाड़ी की तरह अपनी छोटी बहन की चूत चोदे जा रहे थे।


मैं बहुत गर्म हो चुकी थी और भूल गयी थी कि मैं बीच रास्ते में अपने चिंटू से चुद रही हूँ … मैं सिसकारियां लेने लगी और चिंटू से कहने लगी- चिंटू चोदो ना आज अपनी बरखा बहन को … चोद-चोद के आज मेरी चूत फाड़ दो।


मुझे अपने बड़े चिंटू के लंड से चुदने में कितना मजा आ रहा था आह हह … मैं बोली- चिंटू, आप तो बहुत मस्त मजा देते हो। चूत चाट कर भी और अपने लंड से ठुकाई का भी!

फिर वो तेजी के साथ मेरी चूत में धक्के लगाने लगे … मुझे दुनिया का हर आनंद अनुभव हो रहा था … मैं कहने लगी- चिंटू, अब कोई भी आएगा तो अपना लंड बाहर मत निकालना, बस चोदते रहना अपनी बहन को!


चिंटू मुझे जोरों से चोद रहे थे। मेरी चूची दबा दबा कर उन्होंने लाल कर दिए। चिंटू कहने लगे- बरखा, ऐसी ठुकाई के लिए कब से तरस गया था … आज अपनी बरखा बहन को चोद चोदकर रांड बना दूंगा।

मैं भी सेक्स के मजे में कहने लगी- हाँ चिंटू, आज से मैं आपकी रखैल हूँ … बना दो आज मुझे रांड … बना दो आज खूब चोदकर अपनी बहन को माँ … आज बीच रास्ते में आपकी बहन चुदकर माँ बनना चाहती है … आहहह उम्म्ह!


मेरी आवाजें तेज हो गयी थी और चिंटू की भी … हम भूल गये थे कि हम पब्लिक प्लेस में ठुकाई कर रहे हैं।

चिंटू मुझे पेले जा रहे थे और मैं भी अपने चिंटू से पिलती रही।


इतने में वहां से एक सुंदर सी नयी नवेली दुल्हन और उसके साथ एक बुड्डा था या तो उसका पति रहा होगा या ससुर … हमने सच में अनदेखा कर दिया और ठुकाई के सागर में गोते लगाते रहे। चिंटू उनके सामने ही मुझे चोदने में लगे रहे।( उसके बाद क्या हुआ, उन्होंने क्या कहा ये सब अगली कहानी में लिखूंगी)


मैं झड़ने लगी। मगर भैया अभी नहीं रुके। उन्होंने अगले पन्द्रह मिनट तक मेरी चूत को रगड़ा … खूब रगड़ा … जैसे कोई एक रंडी की चूत बजाता है चिंटू ने भी मेरी चूत ऐसी ही बजाई वो भी खुले में!

चिंटू पूरी स्पीड में अपनी बहन की चूत में लंड फंसा कर धक्के मारे जा रहे थे।


और फिर उनका वीर्य निकलने को हुआ तो उन्होंने पूछा- कहां गिराना है?

मैंने कह दिया- आह्ह … भैया, मेरी चूत में ही गिरा दो … बना दो आज अपनी बरखा बहन को माँ!


उसके बाद भैया ने तीन-चार जोर के धक्के मारे और मेरी चूत में झड़ने लगे। उन्होंने सारा वीर्य मेरी चूत में गिरा दिया। मुझे भैया का लंड अपनी चूत में लेकर बहुत मजा आया।


चिंटू ने कुछ देर अपना लंड मेरी चूत में ऐसे ही रखा, उसके बाद जबा लंड बाहर निकाला तो मैंने चिंटू का गीला लंड चाट चाट के साफ कर दिया।

उसके बाद चिंटू ने मुझे गये लगाया और मेरे ओंठ चूसे।


उसके बाद भी वहां पर कुछ हुआ, वो अगली कहानी में जरूर लिखूंगी।

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 चाची को घोड़ीबानकर चुदाई मेरा नाम मिथिलेश है। मैं अभी बंगलौर में रहता हूँ, रंग गोरा, 5’6′, 23 साल, ग्रेजुएट। यह मेरा पहला संदेश है आप लोगो के लिए। इसका मतलब यह नहीं कि यह मेरा पहला सेक्स अनुभव है। इससे पहले मैंने बहुत सेक्स किया है लड़कियों और आंटियों से। जो लड़कियाँ मेरे साथ सेक्स में रात गुजारती, वो मेरे साथ शहर में घूमने के लिये भी ख्वाहिश रखती थी