पूर्णिमा मासी को सुहाग रात का ट्रेनिंग दिया
मेरी मौसी मेरी हमउम्र है तो हम साथ रहते थे, मैं मौसी की ठुकाई करना चाहता था क्योंकि वो भी मेरी शरारतों का मजा लेती थी। तो मैंने मौसी को कैसे चोदा?
नमस्कार मित्रो, मैं रोमियो एक बार फिर से आपके बीच एक और गर्म कहानी लेकर हाजिर हूँ कि मैंने अपनी मौसी को चोदा। मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको हर बार की तरह इस बार भी मेरी कहानी पसंद आएगी।
ये घटना मैं अपनी और मौसी की ठुकाई की कहानी के रूप में आपके सामने पेश कर रहा हूँ। मेरी मौसी मेरी उम्र से दो साल ही बड़ी हैं। उनकी शादी नहीं हुई है। उनका नाम पूर्णिमा है। दरअसल वो मेरी सगी मौसी नहीं हैं, वो मेरे मां की बहन हैं। अब आप समझ गए होंगे कि वो लगभग मेरी उम्र की ही क्यों हैं।
हम उम्र के होने के कारण हम दोनों के बीच अच्छी बनती थी। हम दोनों बचपन में साथ में ही स्कूल पढ़ने जाते रहे थे और बाद में साथ में ही कॉलेज भी जाते रहे थे।
मैं बहुत कामुक इंसान हूँ, इसलिए मैं कभी कभी बहाने से उनके दूध छू लेता था, तो कभी उनके चूतड़ों पर हाथ फेर लेता था। वो भी मुझे कुछ नहीं कहती थीं। शायद वो भी मेरी हरकतों का मजा लेती थीं। बारहवीं तक आते आते मौसी एक मस्त फिगर की मालकिन बन चुकी थीं। उनको देख कर किसी का भी मन उन्हें चोदने का हो जाए। मेरा भी मन उन्हें देख कर डोलने लगा था।
फिर किस्मत की बात देखिए कि वो कॉलेज की पढ़ाई करने शहर आ गईं। उस समय मैं गांव में बारहवीं में था। अब मौसी का साथ छूट गया था। मैं बस कभी कभी उनके नाम की मुठ मार लेता था। लेकिन मेरा मन मौसी को चोदने का बहुत था।
इस तरह एक साल बाद मैं भी पढ़ाई के लिए कोटा चला गया। हमारी कहानी अधूरी रह गयी। लेकिन ऊपर वाले को कुछ और ही मंजूर था।
उस मालिक ने मौसी से मुझको इस तरह से मिलाया, मैंने भी नहीं सोचा था कि मुझे मौसी की चूत ऐसे मिलेगी।
दरअसल हुआ ऐसा कि मेरी कॉलेज की पढ़ाई खत्म हो गयी और मैं एक कंपनी में काम करने लगा। इस दौरान मेरे घर वाले मेरे लिए लड़की देखने लगे। फिर पिताजी ने एक लड़की मेरे लिए पसंद की। हमारी सगाई हो गयी और शादी की तारीख भी तय हो गयी। वैसे तो मेरा घर कोटा में भी है। लेकिन मेरी शादी के सारे कार्यक्रम गांव में होने वाले थे।
हल्दी का प्रोग्राम था। सारे गांव के लोग आए थे। उसमें पूर्णिमा मौसी भी आई थीं। बहुत समय बाद मौसी गांव आई थीं। दरअसल उनका घर जयपुर में है, तो वो कभी कभी ही गांव आती हैं।
जब मैंने मौसी को देखा तो हाय … क्या माल लग रही थी वो … एकदम कयामत ढा रही थीं। मौसी ने पटियाला सूट पहना हुआ था।
उस दिन मुझे हल्दी लग रही थी और मेरी नजर बस उन्हीं पर टिकी थी। उफ … क्या बताऊं दोस्तो … रिश्ते में वो मेरी मौसी हैं … लेकिन उनके शोला उगलते हुस्न के आगे में सारे रिश्ते भूल गया था। वो भी मुझे एक अजीब सी निगाहों से देख रही थीं।
उस दिन हल्दी की रस्म के बाद पिताजी ने पूर्णिमा मौसी से कहा- पूर्णिमा तुमको घर के काम में मदद करनी होगी।
मैं भी हल्दी लगने के बाद पूर्णिमा मौसी से मिला और उनके गले से लगा। मैंने इसी बहाने से मौसी को थोड़ा कसके पकड़ लिया था।
हाय … दोस्तो, क्या मस्त फिगर है मौसी का। मेरा लंड तो वहीं सलामी देने लगा।
उन्होंने खुद को मुझसे तुरंत छुड़वाया … और पूछा- और दूल्हे राजा …
ऐसे कह कर वो मुझे छेड़ने लगीं।
मैंने भी मौसी से पूछा- कैसी हो?
इसी तरह की हमारे बीच सामान्य बातें हुईं। उसके बाद फिर से मेरी हरकतें शुरू हो गईं।
वो मेरे घर में मदद के लिए रहतीं और मैं किसी न किसी बहाने से उन्हें छू लेता। वो मुझे एक कशिश भरी मुस्कुराहट दे देतीं।
हाय … ये मौसी तो जान लेकर रहेगी। इतने सालों में भी बिल्कुल नहीं बदली हैं।
उनकी एक बड़ी बहन की शादी बाकी थी इसलिए मौसी अब भी कुंवारी थीं। शायद उन पर इसी बात का असर था, जो आज भी बिल्कुल पहले जैसा था।
जब मैं उनको टच करता, तो वो मुझसे जानबूझ कर कहतीं कि तू दूल्हा बन गया है … तू ये सब अब अपनी घरवाली से साथ करना।
ऐसा बोल कर मौसी मुझे छेड़ देतीं। लेकिन उनकी कातिल मुस्कान मुझे अन्दर तक चीरती चली जाती।
मैं भी मौसी से कह देता- वो तो मेरे पास आ ही रही है … आप कब मिलोगी?
वो ‘चल हट शैतान।।’ कह कर बात टाल देतीं।
पूर्णिमा मौसी का ज्यादा वक्त मेरे घर पर बीतने लगा था और इस बात का फायदा उठा कर मैं भी उनके करीब आ गया।
अब शादी वाला घर था, तो कोई न कोई आस-पास होता ही था। इस समय कुछ भी करना इतना आसान नहीं होता। हम दोनों इशारों में बात करने लगे। मैं कभी मौसी को आंख मारता, तो वो शर्मा जातीं। कभी वो भी मुझे फ्लाइंग किस कर देतीं। मतलब अब हम दोनों ही एक दूसरे की प्यास को समझ गए थे।
इसी तरह 6-7 दिन बीत गए और इस बीच हम दोनों एक दूसरे के बहुत करीब आ गए। अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
मैंने पूर्णिमा मौसी को इशारे में कहा- मुझे आपसे मिलना है।
वो भी मेरा इशारा समझ गईं। वो मुस्कुरा दी।
मैं अपने घर की छत पर गया। वो भी मेरे पीछे पीछे छत पर आ गईं।
मैंने पूर्णिमा मौसी से कहा कि मुझे आपसे काम है … अकेले में मिलना है।
मौसी बोलीं- इधर ही बोल न … क्या कहना है।
मैं- यहां नहीं … बिल्कुल अकेले में, जहां सिर्फ मैं और आप ही हो।
मौसी- ऐसा क्या काम है दूल्हे राजा?
मैं- आप अकेले में मिलोगी, तो बताऊंगा।
मौसी शायद मेरे इरादे भांप गयी थीं- चल बदमाश, अकेले में तू अपनी दुल्हन से मिलना … चल अभी कोई आ जाएगा।
ये कह कर वो जाने लगीं।
मैं थोड़ा उदास होते हुए बोला- शादी से पहले एक बार मिल लो प्लीज।
मौसी- बाद में बताती हूँ। अभी चल यहां से।
मैंने मौसी से वादा ले लिया था। मौसी ने भी वादा किया था कि अभी चल, मेरे शैतान भतीजे … तुझे जो चाहिए वो मिल जाएगा।
मौसी के मुँह से ये सुनते ही मैं खुश हो गया। शायद वो भी मेरी तरह चुदवाने के लिए बेकरार थीं।
अब हम दोनों नीचे आ गए। मैं सारे रिश्तेदारों के बीच से नजर बचा कर उनसे मिलना मुश्किल था। लेकिन फिर भी मुझे उनसे मिलना तो था ही।
उसी शाम को पूर्णिमा मौसी ने मेरे फ़ोन पर कॉल किया और हमारी बात हुई।
पूर्णिमा मौसी ने कहा- एक तरीका है।
मैंने पूछा- बोलो कैसे?
मौसी- तू शहर से कुछ सामान लाने का बहाना बना दे और बोल दे कि मैं तेरे साथ चल रही हूँ।
मैं- फिर?
मौसी- सब लोग अभी गांव आए हुए हैं। शहर वाले घर पर कोई नहीं है।
मैं आगे की कहानी समझ गया। बस फिर क्या था। मैंने पिताजी से शाम को ही बात कर ली। मैंने पिताजी से कहा कि मुझे मेरे एक दो दोस्त को शादी का कार्ड देना है … तो जयपुर जाना है।
पिताजी ने कहा कि अकेले कैसे जाओगे … तुम नहीं जा सकते।
मैंने तपाक से बोल दिया कि पूर्णिमा मौसी को भी जयपुर काम है, तो वो भी आ रही हैं।
बस फिर क्या था, पिताजी मान गए।
फिर अगले दिन सुबह बहुत अच्छे से तैयार हुआ और कार लेकर सीधे पूर्णिमा मौसी के घर पहुंच गया।
मैंने कॉल करके बोला- जल्दी बाहर आ जाओ।
मौसी- बस अभी आयी दूल्हे राजा, थोड़ा सब्र करो।
मैं- बस वो ही तो नहीं हो रहा।
मौसी- चल शैतान।
फिर मौसी बाहर आईं। हल्के से लाल रंग की कुर्ती और काली लैगी में … खुले बाल और लाल लिपस्टिक उफ्फ … मेरी सपनों की परी ने तो मुझे मार ही डाला।
मैंने जैसे तैसे खुद को संभाला और पूर्णिमा मौसी गाड़ी में आकर बैठ गईं। मैं कुछ देर तक उनको निहारता रहा।
पूर्णिमा मौसी चुटकी बजाते हुए बोलीं- दूल्हे राजा चलो।
मैंने कहा- आपके गाल पर कुछ है। जरा इधर आना तो।
पूर्णिमा मौसी मेरी तरफ को झुकीं, तो मैंने उनके गाल पर चूम लिया। फिर कुछ कहे बिना गाड़ी चलाने लग गया। वैसे तो मौसी मुझसे खुल कर बात करती हैं … लेकिन वो थोड़ी शर्मीली भी हैं। इसलिए चुम्बन से वो थोड़ी सी शर्मा गईं।
अब तो बस पूर्णिमा मौसी के घर पहुंचने की देरी थी। रास्ते में मैंने मौसी की बहुत तारीफ की।
मैंने पूर्णिमा मौसी से ये भी पूछा कि क्या आपका बॉयफ्रेंड है?
उन्होंने कहा कि हाँ है।
मैं- उसके साथ कुछ किया है कभी?
मौसी ने थोड़ा शर्माते हुए कहा- हाँ।
मैं- कहाँ?
मौसी- शैतान … गाड़ी चला।
मैं- बताओ न।
मौसी ने शर्माते हुए कहा- होंठों पर प्यार किया था … बस अब तू और नहीं पूछेगा।
मैं- और ‘उसका।।’ क्या किया?
मौसी ने शर्माते हुए कहा- तू घर चल, तेरी खबर लेती हूं।
ऐसे ही बातों बातों में हम दोनों घर आ गए।
मौसी ने दरवाजा खोला। हम दोनों अन्दर आ गए। अन्दर आते ही दरवाजा बंद कर दिया और जैसे ही दरवाजा बंद हुआ। मैंने मौसी को पीछे से पकड़ लिया और दरवाजे के सहारे लगा कर उनकी गर्दन पर किस करने लगा।
मौसी थोड़ी सी सहम गईं, लेकिन जल्द ही समझ गईं। मैंने उन्हें अपनी तरफ घुमाया और जोर से सीने से लगा लिया।
मैंने कहा- आई लव यू।
मैं उनकी गर्दन और गाल, आंख सब जगह किस करने लगा। मौसी भी आंखें बंद करके मेरा साथ देने लगीं।
मौसी ने भी आई लव यू टू कहा।
उनके मुँह से ये सुन कर मैं और उत्साहित हो गया।
वो कहने लगीं- रुको … बेडरूम में चलो।
हम दोनों बेडरूम की तरफ चले गए। बेडरूम में आते ही मैंने फिर से पूर्णिमा मौसी को पकड़ लिया और उनके रसीले होंठों को चूमने लगा। मौसी भी मेरा साथ देने लगीं।
इतने सालों की तमन्ना आज पूरी हो रही थी। मैंने मौसी की चूत के बारे में सोच सोच कर बहुत मुठ मारी थी। आज इतने सालों का बदला एक साथ ले लूंगा। मैंने मौसी को बिस्तर में लिटा दिया और मैं खुद उनके पास लेट कर उनके ऊपर आ गया। मैं फिर से उनकी गर्दन पर किस करने लगा। मौसी ने आंखें बंद कर लीं और मेरी इन हरकतों का मजा लेने लगीं।
वो गर्म हो गयी थीं। अब उनके मुँह से मादक आवाजें निकल रही थीं। मेरे एक हाथ में मौसी का चूचा था और दूसरा हाथ मौसी के गाल के पास था। मैं उनके रसीले होंठों का रसपान कर रहा था। मौसी लगातार मादक आवाजें निकाल रही थीं … जो मुझे और अधिक उकसा रही थीं।
मैंने मौसी को वापस बैठाया और उनकी कुर्ती निकाल दी। एक पल के लिए उनकी ब्रा में कैद दूध निहारे और अगले ही पल ब्रा भी निकाल दी। अब मौसी के दोनों मम्मे मेरे सामने आजाद थे। उनके ठोस और बड़े मम्मे देख कर बस मैं उन पर टूट पड़ा। मैंने एक मम्मे को मुँह में ले लिया और दूसरे को हाथ से दबाने लगा।
मौसी मदमस्त हो गईं- आह उन्ह उह ओह!
उनकी ऐसी आवाजें निकलने लगीं।
अब मैं उनको किस करता हुआ उनके पेट से होते हुए कमर पर आ गया। मैं उनकी लैगी और पैन्टी दोनों को एक साथ नीचे खिसकाने लगा। मौसी शर्मा रही थीं। उन्होंने रोक लिया। लेकिन मैंने थोड़ा जोर लगाया, तो वो मान गईं। इसी के साथ मैंने भी मेरी शर्ट और पैन्ट खोल दी।
Bua Ki Chudai
अब हम दोनों एक दूसरे के सामने बिना कपड़ों के थे। बस अब क्या बाकी था … मुझे उस नमकीन चूत के दर्शन होने वाले थे … जिसे चोदने के सपने के मैंने सालों से पाल रखे थे।
मैं उनकी कमर के पास गया और धीरे से उनकी चूत से थोड़ा ऊपर किस किया। चुत के नजदीक किसी पहले मर्द कर स्पर्श पाते ही मौसी ‘आह…’ की सिसकारी लेने लगीं। वो मेरे सिर को अपने हाथों में पकड़ कर दबाव देने लगीं।
मैं धीरे धीरे नीचे को होता गया और मौसी की चूत की दरार पर किस कर दिया। उनकी चुत के सारे बाल साफ थे। शायद मौसी मेरे लिए ही साफ करके आयी थीं।
मौसी ‘आह…’ करते हुए मुझे अपनी चुत पर दबाने लगीं। वो शायद बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गयी थीं।
फिर मैंने मौसी की चूत को अपनी जुबान से फैलाया और उनके दाने को चूमने लगा।
आह क्या मस्त खुशबू थी चुत की!
मैं जोर जोर से चुत चाटने लगा। मौसी की पूरी चूत पहले से ही गीली थी। मैंने और चाट चूम कर गीला कर दिया था। अब मौसी अपनी गांड उठा उठा कर चुत चटवा रही थीं। मैं भी खूब मजे से चाट रहा था।
मैंने मौसी से कहा- मुझे भी उस पर किस चाहिए।
मौसी ने कुछ नहीं कहा और मुझे धक्का मार कर बिस्तर पर लिटा दिया। मैं कुछ समझता तब तक मौसी ने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया … मानो अभी खा जाएंगी। ऐसा लग रहा था मानो मौसी पूरे मजे लेना चाह रही थीं।
मेरे लंड पर किस करते ही मेरे शरीर में मानो करंट दौड़ गया था और मेरे मुँह से भी एक तेज आह निकल गयी। मैंने मौसी के बाल पकड़े और पूरा लंड मुँह में लेने के लिए जोर देने लगा। मौसी ने बहुत मस्त लंड को चूसा। बहुत मजा आ रहा था।
करीब 20 मिनट तक हम दोनों ने चुत और लंड की चुसाई की। अब मैंने मौसी को ऊपर खींचा और सीधा लिटा कर खुद उनके ऊपर चढ़ गया।
मैं मौसी की चूत पर लंड रगड़ने लगा। मौसी मुझे मस्त नशीली निगाहों से देख रही थीं और जोर जोर से सांसें ले रही थीं।
मैंने मौसी के मम्मों को अपने हाथ में लेकर दबाना जारी रखा। मैं मौसी के ऊपर लेट गया था। मैंने मौसी को कसके पकड़ा और उनकी चुत पर लंड लगा कर जोर देने लगा।
मौसी ने बीच में हाथ कर दिया। जैसे पहली बार चुद रही हों।
मैंने जोर से झटका मारा और मेरा पूरा लंड मौसी की चूत में समा गया।
मौसी जोर से चिल्लाईं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… उई माँ मर गयी … आह!
मैंने कान के पास जा कर पूछा- क्या हुआ?
मौसी ने कहा- कुछ नहीं … दर्द हो रहा है।
मैं थोड़ी देर रुका … लेकिन अब मुझसे बिल्कुल रहा नहीं जा रहा था। मैंने धक्के लगाना शुरू कर दिए।
कुछ ही देर में पूर्णिमा मौसी भी साथ देने लगीं। वो गांड उठा कर चुत ठुकाई करवा रही थीं।
मैंने चुत चोदते हुए कहा- आई लव यू मौसी।
पूर्णिमा मौसी गांड उठाते हुए बोलीं- चल बदमाश … अब भी मौसी कह रहा है। पूर्णिमा बोल।
मैंने कहा- आई लव यू पूर्णिमा।
मौसी ने भी ‘आई लव यू टू रोमियो।।’ कहा। वो मस्ती से ठुकाई करवाने लगीं।
हाय क्या जन्नत का मजा दे रही थीं मौसी … उफ़्फ़ … ऐसा लग रहा था, जैसे मौसी भी मुझे पाने को तरस रही थीं।
करीब आधे घंटे की ठुकाई के बाद हम दोनों झड़ने वाले थे। मैंने कुछ नहीं पूछा और अपना वीर्य पूर्णिमा मौसी की चूत में गिरा दिया। मौसी ने भी मुझे कसके पकड़ लिया था और वो भी स्खलित हो गयी थीं। मैं झड़ कर उनके ऊपर ही लेट गया।
इस तरह से मैएँ अपनी मौसी को चोदा। कोई पांच मिनट बाद हम दोनों को होश आया। मैंने मौसी के गाल पर किस करते हुए फिर से आई लव यू कहा।
मैंने बताया कि मौसी मैं आपको बचपन से पसंद करता हूँ, लेकिन बता न सका।
मौसी ने कहा- मैं भी तुझे बहुत पहले से पसंद करती हूँ। तू मेरे साथ शरारत करता, वो मुझे अच्छा लगता था। लेकिन मैं भी कभी कह नहीं पाई।
“ओह आई लव यू सो मच मौसी।”
फिर मैंने मौसी को कसके गले लगा लिया।
“मैं तो न जाने कब से तुझसे चुदना चाहती थी … लेकिन मौका ही नहीं मिला। आज मिला भी, तो कब … जब तेरी शादी हो रही है।”
मैंने कहा- तो क्या हुआ … सुहागदिन तो आपके साथ मनाया ना।
मौसी खुश थीं।
हमें जयपुर में कुछ काम नहीं था … तो दिन भर में हम दोनों ने 3 बार ठुकाई की। फिर शाम को वापस गांव आ गए। इस तरह मैंने शादी से पहले मौसी की ठुकाई की।
उसके बाद मैंने कभी दुबारा मौसी की ठुकाई नहीं की। क्योंकि मेरी शादी हो गयी। उन्हीं दिनों मेरी बहन भी आई थी … जो मुझसे अपनी कुंवारी चुत चटवा चुकी थी। लेकिन कभी ठुकाई नहीं की थी। उसने भी शादी से पहले बिन्दोली के बाद रात को अकेले में मिलने बुलाया और जी भर के किस किया और शादी की बधाई दी।
दोस्तो, लड़कियां भी शादी से पहले अपने बॉयफ्रेंड से मिल कर चुदवा लेती हैं, तो फिर मैं तो लड़का हूँ। सेक्स कहानी पर भी शादी से पहले ठुकाई की कहानी पढ़ने के बाद मैंने सोचा कि मैं भी अपनी सेक्स कहानी आपके सामने रखूँ।
दोस्तो, मेरी मौसी की ठुकाई की सेक्स कहानी कैसी लगी, जरूर बताना।