सफेद नाइटी वाली टीचर पार्ट 2
विवेक की आंखें खुलीं तो कमरा अंधेरे में डूबा था।
कल रात अनुजा मैडम और रचना मैम के साथ जो कुछ हुआ, उसकी गर्मी अब भी बदन में तैर रही थी।
वो चादर में अकेला था, लेकिन गंध अब भी वही थी —
नाइटी की, पसीने की, और गीले बदन की।
मोबाइल की नोटिफिकेशन जल उठी —
"Club meeting tonight – final deal. Be ready."
नीचे सिर्फ एक नाम था: "Rohit Sir."
कॉलेज लाइब्रेरी का हेड,
शांत, गम्भीर, और आँखों में एक गहराई —
जिसे विवेक ने कभी पढ़ा नहीं था।
शाम को कॉल आया:
“अगर बाहर निकलना है, तो क्लब के नियम पूरे करने होंगे। आज रात मेरी बारी है।”
विवेक ने कांपते हुए पूछा,
“मतलब… मेरे साथ?”
“हाँ, लड़के… तेरे जिस्म में बहुत कुछ है, जो अब तक सिर्फ औरतों ने चखा है। अब मेरी बारी है।”
जब विवेक कमरे में पहुंचा, तो पहले से अनुजा और रचना वाइन पी रही थीं — दोनों अब ब्लैक नाइटी में थीं।
कमरा मोमबत्तियों की रोशनी में था।
एक कोने में रोहित सर बैठकर किताब पढ़ रहे थे — लेकिन उनकी आँखें विवेक पर जमी थीं।
अनुजा बोली:
“आज तू आज़ाद हो सकता है… लेकिन उसके लिए तुझे खुद को सौंपना होगा — पूरी तरह।”
रचना मुस्कराई:
“और हम सब देखेंगे… तुझे झुकते हुए।”
विवेक ने जैसे ही कपड़े उतारे, रोहित सर खड़े हो गए।
वो धीरे-धीरे पास आए, और बोले:
“तू डर रहा है… लेकिन तेरा बदन कुछ और कह रहा है।”
वो पीछे से विवेक के कंधे पर हाथ रखकर उसकी पीठ चूमने लगे।
धीरे-धीरे उनकी ज़ुबान उसकी रीढ़ के नीचे सरकने लगी।
वहीं अनुजा और रचना अब सोफे पर बैठी masturbation कर रही थीं —
एक-दूसरे के ब्रेस्ट सहलाती, किस करती, और विवेक को देखती।
रोहित सर ने विवेक को पलट कर दीवार से टिका दिया।
“अब तुझे पता चलेगा, तेरा पिछला दरवाज़ा कितना कीमती है।”
वो lubricant लगाकर धीरे-धीरे विवेक की गांड के अंदर घुसने लगे।
विवेक की आँखें भीग उठीं — दर्द और कामुकता के बीच।
“आराम से…”
रोहित सर ने धीरे कहा और अपनी लिंग की गति तेज़ कर दी।
अब वो बार-बार थ्रस्ट कर रहे थे,
और विवेक की सांसें तेज़ होती जा रही थीं।
अनुजा और रचना अब भी खुद को चाट रही थीं,
वो एक-दूसरे की योनि पर जीभ फेरतीं, निप्पल चूसतीं और विवेक को उकसातीं।
“देख, तू अकेला नहीं है…
सबका स्वाद एक जैसा होता है — बस नजर अलग होती है।”
अनुजा फुसफुसाईं।
अब सीन कुछ ऐसा था:
रोहित सर पीछे से विवेक को ले रहे थे
विवेक के सामने अनुजा बैठी थी, ब्रेस्ट मुँह में
रचना उसकी जांघों पर बैठी, अपनी योनि उसके पैरों पर रगड़ रही थी
चार जिस्म, एक गर्म शा
अचानक एक मौका मिला —
जब रोहित सर बाथरूम गए और अनुजा और रचना orgasm के बाद बेसुध थीं।
विवेक ने लैपटॉप खोला,
जहाँ सारे सेक्स वीडियो सेव थे।
उसने तुरंत पेन ड्राइव लगाकर कॉपी करना शुरू किया।
ये उसके पास एकमात्र सबूत था क्लब से बाहर निकलने का।
लेकिन…
“क्या कर रहा है तू?”
पीछे से आवाज़ आई — रोहित सर लौट चुके थे।
“अगर तू भागेगा,
तो हम तुझे बर्बाद कर देंगे — तेरे परिवार, कॉलेज, सबके सामने।”
विवेक कांपते हुए बोला,
“मुझे आज़ादी चाहिए… कुछ भी करो, बस खत्म करो ये सब।”
रोहित सर मुस्कराए।
“तो ठीक है… आज रात का आखिरी हिस्सा तेरा टेस्ट होगा — अगर तू हमें संतुष्ट कर सका, तो जा सकता है।”
विवेक को फिर बेड पर लिटाया गया।
अनुजा मैम उसके मुँह पर बैठीं, और ज़ोर से अपनी योनि रगड़ने लगीं
रचना उसके लिंग को मुँह में लेकर गहराई तक चूस रही थी
और रोहित सर पीछे से फिर घुस गए, और इस बार पूरी ताकत से
तीनों ने मिलकर विवेक को चोदना शुरू किया — अलग-अलग ओर से, अलग-अलग ताल से।
शब्द, ध्वनि, पसीना और रस —
सब घुल गया था उस कमरे में।
विवेक की आँखों से आँसू थे,
लेकिन शरीर orgasm में कांप रहा था।
तीनों उसके ऊपर थककर गिर पड़े।
कुछ देर बाद,
रोहित सर बोले:
“तू पास हो गया… ये क्लब अब तुझे जाने देगा।”
वो मुस्कराए, और एक USB ड्राइव विवेक को दी —
“तेरे पास जो कॉपी है, वो फर्जी है। असली सबूत हमारे पास ही रहेगा।”
विवेक बाहर आ गया…
लेकिन अब वो चैन से नहीं सो पाता।
क्लब से तो निकला,
पर अब हर रात उसे वही स्पर्श, वही रस, वही अधूरी ज़रूरतें बुलाती हैं।
क्या वो वापस जाएगा?
या कोई नया शिकार बनाएगा?